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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिग्गहियाओ भवंति पागारालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति पासादरसरणलेणआवणा परिग्गहिता भवंति सिंघाडगतिगचउवचच्चरचउम्मुहमहापहपहा परिगहिया भवंति सगडरहजाणजुम्गगिल्लीथिल्लिसीयसंदमाणियाओ परिगहियाओ भवंति लोही लोहकडाहरुडुच्छ्या परिगहिया भवंति भवणा परिगहिया भवंति देवा देवीओ भणुस्सा मणुस्सिओ तिरिक्खजोणिआ तिरिक्खजोणिणीओ आसणसणखंभभंडसचित्ताचित्तमी सयाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति से तेणद्वेणं० जहा तिरिक्खजोणिया तहामणुस्साऽवि भाणियव्वा, वाणमंतरजोतिसवेमाणिया भवणवासी तहा नेयव्दा । २१८॥ पंच हेऊ पं० २०-हे जाणइ हेउ पासइ हे बुझइ हे अभिसमागच्छति हेउं छउमत्थमरणं भरइ, पंचेव हेऊ ५० त०- हेणा जाणइ जाव हे39छउमत्थभरणं भरइ, पंच हेऊ पं० २० हे न जाणइ जाव हे अनाणभरणं मरद, पंच हे पं००- हेउजाणति जाव हेउणा मरणं मरति, पंच अहेॐ पं००- अहे जाणइ जाव अहे केवलिमरणं भरइ, पंच अहेॐ पं०२०- अहेउा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मइ, पंच अहेऊ ५००- अहेन जाणइ जाव अहे छमत्थमरणं भरइ, पंच अहेऊ ५००- अहेउणा न जाणइ जाव अहेउ छमत्थमरणं मह सेवं भंते! २ ति ||२१९॥श०५३०७॥ तेणं कालेणं० जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स० जाव अंतेवासी नारयपुत्ते नाम अणगारे पगातिभद्दए जाव विहरति, तेणं कालेणं० समणस्स० जाव अंतेवासी नियंठिपुत्ते णाम अणगारे पगतिभद्दए जाव विहरति, तए णं से नियंठीपुत्ते अणगारे ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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