SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेते सव्वत्थोवेसेसा ठाणा असंखेज्जा ॥ ३५॥ । २१७१ नेरइया णं भंते! किं सारंभासपरिगगहा उदाह अणारंभा अपरिग्गहा?, गोयमा!|| नेरइया सारंभा सपरिगहा नो अणारंभा णो अपरिग्गहा० सेकेण्डेणं जाव अपरिग्गहा?, गोयमा! नेरइया णं पुढवीकायं समारंभति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिन्गहिया भवंति सचित्ता चित्तभीसयाई दव्वाई परि० भ०, से तेणटेणं त चेव० असुरकुमारा गं भंते! किं सारंभा०? पुच्छा, गोयमा! असुरकुमारा सारंमा सपरिगहा नो अणारंभा अ५०, से केण्डेणं०?, गोयमा! असुरकुमाराणं पुढवीकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिगहिया भवंति भवणा परि० भवंति देवादेवीओमणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवंति आसणसणभंडभत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सच्चित्ताचित्तभीसथाई दवाई परिग्गहियाई भवंति से तेणदेणं तहेव एवं जाव थणियक नेरइया, बेइंदिया ण भंते! किं सारंभा सपरिग्गहा तं चेव जाव सरीरा परिम्गहिया भवंति बाहिरिया भंडमनोवगरणा परि० भवंति सचित्ताचित जाव भवंति एवं जाव चारिदिया, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! तं चेव जाव कम्मा परि० भवन्ति टंका कूडा सेला सिहरी पब्भारा परिन्गहिया भवंति जलथलबिलगुहालेणा परिग्गहिया भवंति उज्झरनिज्झरचिललपललवप्पिा परि गहिया भवंति अगडतडागदह नदीओ वाविपुस्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरासरसरपंतियाओ बिलाणि बिलपंतियाओ परिग्गहियाओ भवंति आरामुज्जाणाकाणावणाईवणसंडाईवणराइओ परिग्गहियाओ भवन्ति देवउलसभापवाथूभाखातियपरिखाओ! ॥ श्रीभगवती सूत्र । ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy