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वापकरेमाणे पंचविहं पकरेइ, तं०- एगिंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा भेदो सव्वो भाणियव्वो, मणुस्साउयं दुविहं , देवाउयं चाविहं ।।। सेवं भंते ! सेवं भंते! । १८३ ॥श०५३०३ ॥ ___ छउम्त्थे णं भंते ! मणुस्से आउडिजमाणाई सदाई सुणेइ, तं० - संखसहाणि वा सिंगस० संखियस० खरमुहिस० पोयास० परिपिरियास० प्रणवस० पडहस० भंभास होरभंस० भेरिसदाणि वा झलरिस० दुंदुहिस० त्याणि वा वित्याणि वा धणाणि वा झुसिराणिवा?, हंता गोयमा! छउत्थे गंभणूसे आइडिजमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं०- संखसहाणि वा जाव झुसिराणि का, ताई भंते! किं पुढाई सुणेइ अपुढाई सुणेइ?, गोयमा! पुढाई सुणेइ नो अपुढाई सुणेइ, जाव नियमाछदिसिं सुणेइ, छउमत्थे णं मणुस्से किं आरगयाइं सहाई सुणेइ पारगयाई सद्दाई सुणेइ?, गोयमा! आरगयाई सद्दाई सुणेइ नो पारगयाई सद्दाई सुणेइ, जहाणं भंते! छउमत्थे मणुस्से आरगयाइं सद्दाई सुणेइ नो पारगयाइं सहाई सुणेइ तहा गं भंते! केवली मणुस्से किं आरगयाई सद्दाई सुणेइ पारगयाई सद्दाई सुणेइ?, गोयमा! केवली णं आरगयं वा पारगयं वा सव्वदूरमूलमणतियं सई जाणेइ पासेइ, से केण्टेणं तं चेव केवली णं आरगयं वा पारगयं वा जाव पासइ?, गोयमा केवली गंपुरच्छिमेणं मियंपिजाणइ० अमियंपिजा० एवं दाहिणेणं पच्चस्थिमेणं उत्रेणं उड्ढे अहे। भियंपि जाणइ० अभियंपिजा० सव्वं जागइ केवली सव्वं पासइ केवली सव्वओ जाणइ पासइ० सव्वकालं जा०पा० सव्वभावे जाण पासइकेवली, अणते नाणे केवलिस्स अणते दंसणे केवलिस निम्बुडे नाणे केवलिस्स निव्वुडे दंसणे केवलिस से तेणद्वेणं जाव ॥श्रीभगवनी सूत्र॥
[पू. सागरजी म. संशोथित
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