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अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमातिक्खंति भा०५० एवं ५० से जहानामए जालगंठिया सिया आणुपुव्विगंठिया अणंतगंठिया | परंपरगंठिया अन्नभन्नगंठिया अन्नमन्नगुरुयत्ताए अन्नमनभारियत्ताए अन्नमन्नगुरुयसंभारियत्ताए अण्णमण्णघडताए जाव चिट्ठति एवामेव बहूणं जीवाणं बहूसु आजातिसयसहस्सेसु बहूई आउयसहस्साई आणुपुब्विं गढियाइं जाव चिटुंति, एगेऽविय णं जीवे एगेणं सभएणं दो आउयाई पडिसंवेदयति, तंजहा इहमवियाउयं च परभवियाउयं च, जंसमयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ समयं परमवियाउयं पडिसंवेदेइ जाव से कहमेयं भंते! एवं?, गोयमा जन्नं ते अन्नउत्थिया० तं चेव जाव परभूवियाउयं च, जे ते एवभाहंसु भिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवभातिक्खामि जाव परूवेमि० अन्नभन्नघडताए चिटुंति एवामेवएगमेगस्स जीक्स्स बहूहिं आजातिसहस्सेहि बहूई आउयसहस्साई आणुपुब्दि गढियाईजावचिट्ठति, एगेऽविय णं जीवे एगेणं सभएणंएगंआउयं पडिसंवेदेइ, तं० - इहभवियाउयं वा परभवियाऽयं वा० । १८२ । जीवे णं भंते! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते! किं साउए संकमइ निराए संकमइ?, गोयमा! साउए संकभइ, नो निराए संकभइ से णं भंते! आउए कहिं कडे कहिं समाइण्णे?, गोयमा! पुरिम भवे कडे पुरिभे भवे समाइण्णे, एवं जाव वेमाणियाणं दंडओ, से नूणं भंते! जे जंभविए जोणि उववजित्तए से तमाउयं पकरेइ, तं०- नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं वा?, हंता गोयमा! जे जंभविए जोणि उववजित्तए से तमाउयं परेइ, तं०- नेरइयाउयं वा तिरि० मणु० देवाउयं वा, नेरइयाउयं परमाणे सत्तविहं पकरेइ,०-श्यणप्यभापुढवीनेड्याज्यं वा जाव अहेसत्तमापुढवीनेइयाउयं वा,तिरिक्खजोणियाउयं ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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