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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहाभावं जाणइ पा० णो अण्णहा भावं जा० पा०, सेकेणद्वेणं०?, गोयमा! तस्सणं एवं भवति नो खलु एस रायगिहे गरे णोखल|| एसा वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतराएगे जणवयव एस खलु ममं वीरियलद्धी वेउव्व्यिलद्धी ओहिणाणलद्धी इड्ढी जुत्ती जसे| बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लद्धे पत्ते अभिसभनागए, से से दंसणे अविवच्चा से भवति, से मेण्डेणं गोयमा! एवं वुच्चति तहाभावं जाणति पासति नो अनहाभाव जाणति पासति, अणगारे गंभंते! भावियप्पा बाहिरण पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महंगामरूवं वा|| नगररूवं वा जाव सत्रिवेसरूवं वा विकुवित्तए?, णो तिणटेसमटे, एवं बितीओऽवि आलोगो, णवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू, अणगारे णं भंते! भावियप्या केवतियाई भू गामरूवाई विकुवित्तए?, गोयमा! से जहानामा जुवतिंजुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हे ज्जा तं चेव जाव विकुब्बिसु वा० एवं जाव सत्रिवेसरूवं वा ।१६२। चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्स असुरनो कति आयरक्खदेवसाहस्सीओ पं०२०? गोयमा! चनारि ५३सडीओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ पं०, ते णं आयरक्या वण्णओ जहा रायपसेणइज्जे, एवं सव्वेसिं इंदाणं जस्स जत्तिया आयरक्खा ने भाणियव्वा । सेवं भंते! २१ १६३ ॥श० ३३० ६ ॥ रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी ससस्स ते! देविंदस्स देवरत्रो कति लोगपाला ५०?, गोयमा! चत्तारि लोगाला पं००- सोमे जमे वणेवेसमणे, एएसिंण भंते! चउण्हं लोगभालाणं कति विभाणा पं०?, गोयमा! चत्तारि विमाा पं००-संझपभे वरसिटे सयंजले वग्गू, कहिं गंभंते! सकस्सदेविंदस्स देवराणो सोमस्समहारत्रो संझध्यभे णामं महाविमाणे पं०?, ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | |१२१ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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