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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandie भत्तकहा चव्विहा पं०२० - भत्तस्स आवावकहा भत्तस्स णिवाक्कहा भत्तस्स आरंभकहा भत्तस्स निट्ठाणकहा, देसकहा चव्विहा|| |पं०० -देसविहिकहा देसविकल्पकहा देसच्छंदकहा देसनेक्थकहा,सबकहाच्छविहा पं०० -रन्नो अतिताणकहा स्न्नो निजाणकहा रन्नो बलवाहणकहा रन्नो कोसकोट्ठागारकहा, चविहाधम्मकहा पंतं० -अक्खेवणी विक्खेवणी संवेयणी निव्वेगणी, अक्खेवणी कहा चव्विहा पं०० - आयारअक्खेवणीववहारअक्खेवणी पन्नत्तिअक्खेवणी दिट्ठीवायअक्खेवणी, विक्खेवणी कहा चविहा पं०० - ससमयं कहेइ ससमयं कहित्ता परसमयं कहेइ १ परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावतित्ता भवति २ सम्मावातं कहेइ सम्मावात कत्ता मिच्छावातं कहेइ ३ मिच्छावातं कहेत्ता सम्मावातंठावइत्ता भवति ४, संवेगणी कथा चविहा पं०२० -इहालोगसंवेगणी/ प्रलोगसंवेगणी आतसरीरसंवेगणी पसरीरसंवेगणी, णिव्वेगणीकहा, चव्विहा पं० तं० -इहलोंगे दुच्छिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति १ इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति २ परलोगे दुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ३ प्रलोगे दुच्चिन्ना कम्मा परलोये दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ४, इहलोमे सुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति १ इहलोगे सुचिन्ना कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति २ एवं चउभंगो तहेव। २८२१चत्तारि पुरिसजाया पं०० -किसे णाममेगे किसे किसे णाममेगे दढे दढे णाममेगे किसे, दढे णाममेगे किसे दढे, चत्तारि पुस्सिजाया पं०२०किसे णाममेगे किससरीरे किसे णाममेगे दढसरीरे दढे णाममेगे किससरीरे दढे णाममेगे दढसरि ४, चत्तारि पुरिसजाया पं०० - ॥ ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021003
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages221
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size14 MB
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