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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | पा० ) दो तत्तजलाओ दो मत्तजलाओ दो उम्मत्तजलाओ दो खीरोयाओ (खारोदाओ पा० ) दो सीहसोताओ (सीयासोताओ पा० ) दो अंतोवाहिणीओ दो उम्मिमालिणीओ दो फेणमालिणीओ दो गंभीरमालिणीओ दो कच्छा दो सुकच्छा दो महाकच्छा दो कच्छगावती दो आवत्ता दो मंगलावत्ता दो पुक्खला दो पुक्खलावई दो वच्छा दो सुवच्छा दो महावच्छा दो वच्छगावती दो रम्मा दो रम्मगा दो | रमणिज्जा दो मंगलावती दो पम्हा दो सुपभ्हा दो महपम्हा दो पम्हगावती दो संखा दो णलिणा दो कुमुया दो स(ण) लिला (णा )वती दो वप्पा दो सुवप्पा दो महावप्पा दो वप्पगावती दो वग्गू दो सुवग्गू दो गंधिला दो गंधिलावती ३२ दो खेमाओ दो खेमपुरीओ दो रिट्ठाओ दो रिट्ठपुरीओ दो खग्गातो दो मंजुसाओ दो ओसधीओ दो पोंडरीगिणीओ दो सुसीमाओ दो कुंडलाओ दो अपराजियाओ दो पभंकराओ दो अंकावईओ दो पम्हावईओ दो सुभाओ दो रयणसंचयाओ दो आसपुराओ दो सीहपुराओ दो महापुराओ दो विजयपुराओ दो अपराजिताओ दो अवराओ दो असोयाओ दो विगयसोगाओ दो विजयातो दो वेजयंतीओ दो जयंतीओ दो अपराजियाओ दो चक्कपुराओ दो खग्गपुराओ दो अवज्झाओ दो अउज्झाओ ३२ दो भदसालवणा दो णंदणवणा दो सोमणसवणा दो पंडगवणाइं दो पंडुकंबलसिलाओ दो अतिपंडुकं बलसिलाओ दो रत्तकंबलसिलाओ दो अइरत्नकंबलसिलाओ दो मंदरा दो मंदर चूलिताओ, धायतिसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाई उद्धमुच्चत्तेणं पन्नता । ९२ । कालोदस्स णं समुद्दस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढउच्चत्तेणं पन्नत्ता, पुक्खरवर दीवड्ढपुरच्छिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव तहेव ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥ २४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021003
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages221
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size14 MB
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