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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७६ अनुयोगद्वारसूत्रे ध्यानि । तैजसकामगशरीराण्येषां स्ववैक्रियशीरवद् बोध्यानि । तथा-वैमानिका. नामौदारिकशरीराणि नैरयिकौदारिकशरीरवद् बोध्यानि । वैमानिकानां चैक्रियचाहिये । नारकियों के बद्ध आहारक शरीर नहीं होते हैं। इसलिये ज्योतिष्क देवों के भी आहारक शरीर नहीं है । मुक्त आहारकशरीरों का प्रमाण, वहां मुक्त औदारिक शरीरों के जैसा अनंत कहा गया है सो यहां पर भी इनका प्रमाण इतना ही जानना चाहिये । (तेयगकम्मयसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्धियसरीरा तहा भाणियव्या) ज्योतिष्कदेवों के बद्ध, मुक्त तैजस और कार्मण इन दो शरीरों का प्रमाण इनके बद्ध मुक्त वैक्रियशरीरों के प्रमाण तुल्य कहा गया है, ऐसा जानना चाहिये। इनके बद्ध क्रियशरीरों का प्रमाण असंख्यात और मुक्तवैक्रियशरीरों का प्रमाण अनंत कहा गया है, उसी प्रकार से इनके बद्ध तैजसकार्मणशरीरों का प्रमाण असंख्यात और मुक्त तेजस कार्मण शरीरों का प्रमाण अनंत है । (वेमाणियाणं भंते ! केव. झ्या ओरालियसरीरा पण्णत्ता ?) हे भदन्त ! वैमानिक देवों के औदारिक शरीर कितने कहे गये है ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहो नेरइ. याणं तहा भाणियव्वा) जिस प्रकार से नारकों के औदारिक शरीरों की प्ररूपणा की गई है उसी प्रकार से वैमानिक देवों के भी औदारिक शरीरों की प्ररूपणा समझनी चाहिये । (वेमाणियाणं भंते ! केवનારકીઓના બદ્ધ આહારક શરીરે હતાં નથી. એટલા માટે તિષ્ક દેવના પણ આહારક શરીર નથી. મુકત આહારક શરીરનું પ્રમાણ ત્યાં મુક્ત ઓદારિક શરીરોની જેમ અનંત કહેવામાં આવ્યું છે. તે અહીં પણ मनु प्रमाण मेट all देवु नये. (तेयगकम्मयसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा भाणियव्वा) याति वोना , भुत તેજસ અને કામણ આ બે શરીરેનું પ્રમાણ એમનાં બદ્ધમુકતવૈક્રિય શરીરના પ્રમાણ તુલ્ય કહેવામાં આવ્યું છે. એમ જાણવું જોઈએ, એમનાં બદ્ધકિય શરીરેનું પ્રમાણ અસંખ્યાત તેમજ મુકતવૈકિય શરીરનું પ્રમાણ અનંત કહેવામાં આવ્યું છે. આ પ્રમાણે એમને બદ્ધ તૈજસકામણ શરીરોનું પ્રમાણ असभ्यात भने भुत तस मधु शरीरानु प्रमाण मानत छ. (वेमाणियाणं भंते केवइया ओरालियसरीरा पण्णत्ता) मत! वैमानिदेवानां मोहारि४ शरी। 2i अपामा माव्यां छ? (गोयमा!) 3 गौतम ! (जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा) २. नाना मोहारि शरी३ नी ३५। કરવા માં આવી છે, તે પ્રમાણે જ વૈમાનિક દેના દારિક શરીરની For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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