________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
% 3D
३६०
अनुयोगद्वारले तत्र खलु आमलकानि प्रक्षिप्तानि तान्यपि मितानि । तत्र खलु बदराणि मधिसानि तान्यपि मितानि । तत्र खलु चणकाः प्रक्षिप्तास्तेऽपि मिताः । तत्र खलु मुद्राः प्रक्षिशास्तेऽपि मिताः । तत्र खलु सर्पपाः प्रक्षिप्तास्तेऽपि मिताः। तत्र खल गङ्गावालुका प्रक्षिप्ता साऽपि मिता । एवमेव एतेन दृष्टान्तेन अस्ति खलु तस्य पल्यस्य आकाशपदेशा ये खलु तैः वालाग्रखण्डैरनास्पृष्टाः । एतेषां पल्यानां कोटीकोटिर्भवेद् दशगुणिताः । तत् मूक्ष्मस्य क्षेत्रसागरोपमस्य एकस्य भवेत् णं बिल्ला पक्खित्ता ते वि माया) वहां बिल्लों को भी कोई डाले तो वे वहां समा जाते हैं । (तस्थ णं आमलगा पक्खित्ता ते विमाया) वहां पर
आवलों को भी कोई डाले तो वे भी वहां समा जाते हैं। (तस्थ णं बयरा पक्खित्ता ते वि माया) वहां बेरों को भी कोई डाले तो वे भी वहां समा जाते हैं । (तत्य णं चणगा पक्वित्ता ते वि माया) वहां पर चनों को भी कोई डाले तो वे भी वहाँ समा जाते हैं । (नत्य णं मुग्मा पक्खित्ता ते वि माया) वहाँ पर मूंग को भी कोई डाले तो वह भी समा जाता है । (तस्थ णं सरिसवा पक्खित्ता ते वि माया) वहां पर सरसों को कोई डाले तो वह भी समा जाता है । (तत्थ णं गंगावालुया पक्खित्ता सावि माया) वहां गंगा की बालु भी कोई डाले तो वह भी वहां समा जाती है। (एवमेव) इसी प्रकार (एएणं दिटुंतेणं) इस दृष्टान्त से (तस्स पल्लस्स) उस पल्प के (आगासपएसा अस्थि) ऐसे भी भा. काश प्रदेश हैं (जे गं) जो (तेहिं बालग्गखंडेहिं) उन बालाग्रखंडों से (अणाफुण्णा) अनास्पृष्ट-अनाकान्त-है । (एएसिं पल्लाणं, दसगुणिया बिल्ला पक्खित्ता ते वि माया) त्या भिवाने ५४ । नामे तो ते ५५ त्या
समाविष्ट तय. (तत्थ णं आमलगा-पक्खित्ता ते वि माया) त्या मामाने नात पण त्या समाविष्ट यजय. (तत्थ णं बयरा पक्खित्ता ते वि माया)
यो २ नाभी तो ते ५५ समाविष्ट 45 4. (तस्थ णं चणगा पक्खित्ता देविमाया) तम या नामे ५५ समा गय छ (तत्थ णं मुगा पक्खित्ता ते वि माया) त्यो भा नाभी तो ५५ समाविष्ट २४ सय. (तत्थ सरिसवा पक्खिचा ते वि माया) त्यां सरस नभाको ५६५ सभाविष्ट 14. (तत्थ णं गंगावालुआ पक्खिता मा वि माया) त्यांनी रेत नाभास त ५५ समाविष्ट थ य. (एवमेव) मा प्रमाणे (एएणं दिदतेणं) मा हटान्तथी (तस्स पल्लस्म) ५श्यना (आगासपएसा अस्थि) 9वा पक्ष
प्रदेश . (जे ण) २ (वेहि बालग्गखंडेहि) ते मामाथी (अणाफण्णा) अनावृष्ट-nistra siय. (एएनि पल्लाणं दसगुणिया कोडा कोडी)
For Private And Personal Use Only