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सुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०८ क्षेत्रपल्योपमनिरूपणम् गो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । जे णं तस्स पल्लस्स आगास पएसा तेहिं वालग्गोहि अप्फुन्ना, तओ णं समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निहिए भवइ, से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भवेज दसगुणिया। तं वावहारियस्स खेत्तसागरोवमस्स एगरस भवे परीमाणं ॥१॥ एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमसागरोवमेहि कि पओयणं? एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमेहिं नस्थि किंचिप्पओयणं, केवलं पण्णवणा पण्णविज्जइ। से तं बावहारिए खेत्तपलिओवमे। से किं तं सुहमे खेत्तपलिओवमे? सुहमे खेत्तपलिओवमे-से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं जाव परिक्खेवेणं। से गं पल्ले एगाहिय बेयाहिय तेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं । तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाई खंडाई कज्जइ। ते गं वालग्गखंडा दिडिओगाहणाओ असंखेज्जइभागमेत्ता, सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंस्बेज्जगुणा। ते णं वालग्गखंडा गो अग्गी डहेज्जा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । जे गं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गखंडेहिं आफुण्णा वा अणाफुण्णा वा, तओ णं समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव निट्रिए भवइ, से तं सुहमे खेत्तपलिओवमे। तत्थ चोयए पण्णवगं एवं वयासी-अस्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं
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