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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र२०४ पल्योपमादीनां औपमिकप्रमाणनिरूपणम् २६१ मुण्डि ते एकाहेन द्वयहेन व्यहेण यावत् उत्कर्षतः सप्तरात्रेण यावत्यमाणा वालाग्रकोटय उत्तिष्ठन्ति तावत्ममाणाभिर्वालाग्रकोटिभिः संसृष्टम् भाकर्ण पूरितम् । सनिचितम् अचयविशेषानिबिडीकृतम् , इत्थं तद् भृतम् परिपूर्णम् । यदि तानि कुछ कम लेना चाहिये । इस प्रकार १ एक योजन लंबा, एक योजन चौडा और एक ही योजन गहरा और कुछ कम छठा भाग अधिक ३तीन योजन की परिधिवाला एक पल्य जैसा गोल कुआ समझना चाहिये । (से णं पल्ले एगाहियबेयाहियतेयाहिय जाव सत्तरतरूढाणं संसट्टे संनिचिए भरिए बालग्ग कोडीण) फिर इस कुए को बालापों. से नीचे से ऊपर तक पूरा खूब ठसा ठस भरना चाहिये। ऐसा भरना चाहिये, कि जिससे थोड़ी सी भी जगह खाली न रहे। जिन बालानों से यह कुंआ भरा जावे वे घालाग्र एक दिन दो दिन तीन दिन यावत् अधिक से अधिक सात दिन तक के ऊगे हुए घालायों के बराबर हों। अर्थात् मुंडित करा देने पर फिर से ऊगे हुए बालों का अग्रभाग जितना बड़ा होता है, उतने ही बडे वे घाल हों। सूत्रस्थ 'समृष्ट शब्द यह बात सूचित करता है कि-'वह कुआ आकर्ण पूरित हो अर्थात् लबालब भरा हुआ हो । 'सन्निचित' शब्द यह कहता है कि-'वह कुँआ इस प्रकार से भरा जानना चाहिये कि जहां पर थोडा કંઈક કમ લેવા જોઈએ આ પ્રમાણે એક જન લાંબી, એક જન પહેલી અને એક જ જન ઊંડી તેમજ કંઈક કમ ષષ્ઠ ભાગ અધિક ત્રણ યોજના २८सी परिधिवाग ४ ५८य वो nो समन . (से गं पल्ले एगाहिय बेयाहिय तेयाहिय जाव सत्तरत्तरूढाण' संसट्टे संनिचिए भरिए बालग्गकोडीण) । पाने पछी माथी नयेथी ५२ सुधा सा पहले ખૂબ ઠાંસીને ભર જોઈએ એવી રીતે ભર જોઈએ કે સહેજ પણ જગ્યા ખાલી રહે નહિ જે બાલાગ્રોથી આ કૂપ ભરવામાં આવે, તે બાલા એક દિવસ, ત્રણ દિવસ યાવત્ વધારેમાં વધારે સાત દિવસ સુધીના મોટા થયેલા બાલાોની બરાબર હોવા જોઈએ એટલે કે મુંડિત થયા પછી શેષ રહેલ બાલાગ્રભાગ જેટલું હોય છે, તેટલા જ મેટા તે વાળે હેવા
से सूत्रस्थ 'संसृष्ट' २०४ १3 4 पात २५ थाय छ त १५ આકણ સંપૂરિત હૈ જોઈએ એટલે કે પૂરેપૂરે ભરેલ જોઈએ " सन्निचित" ५४ भाम 3 छ 3-५५ वी रीत सरवो ने थाई
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