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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०१ कालप्रमाणनिरूपणम् ૨૨૨ ना एकसमयस्थितिक द्विसमयस्थितिकं त्रिसमयस्थितिक यावत् दशसमयस्थितिकम् असंख्येयसमयस्थितिकं तदेतत् प्रदेशनिष्पन्नम् । अथ किं तत् विभागनिष्पनम् ? विभागनिष्पन्न-समयावलिका मुहूर्ता दिवसा होरात्रपक्षनासाश्च । संवत्सर युगपल्यानि सागरावसर्पिपरिवर्त्ताः ॥ सू०२० १।। टीका- ' से किं तं' इत्यादि अथ किं तत् कालप्रमाणम् ? इति शिष्यमनः । उत्तरयनि-कालममाणं प्रदेश निष्पन्न विभागनिष्पन्नति द्विविध प्रज्ञप्तम । तत्र प्रदेशनिष्पन्नम्-प्रदेशा:-कालस्य निर्विभागा भागास्तनियन्न, तद्धि एकसमयस्थितिक यादसंख्ये यसमयस्थिति___उत्तर-(एगसमयटिहए दुसमयट्टिइए तिलमट्टिदए जात्र दससमयटिइए संग्विन समष्टिहए असंग्वि जसमपट्टिहए) एक समय की स्थितिबाला, दो समय को स्थितिबाला यावत् दश समय की स्थिति वाला संख्यातसमयकी स्थितिबाला असंख्यात समय की स्थितिवाला पुद्गलपरमाणु अथवा स्कन्ध (पएसनिष्फण्णे) प्रदेश निष्पन्न काल प्रमाण है। (से तं परसनिष्काणे) इस प्रकार यह प्रदेश निष्पन्नकालप्रमाण का स्वरूप है । (से किं तं विभागनिएफण्णे ?) वह विभाग निष्पन्नकाल प्रमाण क्या है ? (विभागनिष्फरमे) विभाग निष्पन्नकालत्रमाण इस प्रकार से हैं-(समयावलियमुहत्ता दिवस अहोरत्तपक्षमामा य, संव. च्छा जुगपलिया-सागर ओसपिपरिया) समय, आवलिका, मुहर्त, दिवस, अहोरात्र, पक्ष, मास, संवत्सर, युग, पल्प सागर, अवस. पिंगी, उत्सर्पिणी और पुद्गलपरावर्तन काल के निर्विभाग जो भाग है १२-(एसमयट्टिइए दुसमयदिइर तिसमयटिइए जाव दस समयदिइए संखिजसमयदिइए असंखिज्ज समय ए) मे समयनी स्थितिवाणी, ये સમયની સ્થિતિવળે, ત્રણ સમયની સ્થિતિવાળે, યાત્ દશ સમયની સ્થિતિ વાળ, ચંખ્યાત સમયની સ્થિતિવાળે, અસંખ્યાત સમયની સ્થિતિવાળ पुस ५२मा अय! २४५ (पएस निष्फण्णे) प्रदेश निसन मा छे. (से तं पएसनिष्फण्णे) मा प्रमाणे प्रदेश नन्न समानु १३५ थे. (से कि त विभागनिःफण्णे १) ते विला नि०५ सप्रमाण शु छ ? (विभाग निफण्णे) विमा नियन्न सप्रम.ए प्रभारी है-(समयावलियमुहुत्ता दिवस अहोरत्त पक्खमासा य, संवच्छरजुगपरिया सागर ओसप्पिपरि यट्टा) समय, मावा , मुडूत, Eि१८, अहेरात्र, ५६, भा, संवत्सर, યુગ, પલ્પ-સાગર, અવમર્પિણી અને પુદ્ગલ-પરાવર્તન કાલના જે નિર્વિર For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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