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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १२४ कालानुपूर्वीनिरूपणम् ' से तं ओवणिहिया' इत्यादि । सैषा औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी । इत्थं क्षेत्रानुपूर्वी समाप्तेति सूचयितुमाह-'से तं' इत्यादि। सैषा क्षेत्रानुपूर्वी ॥९० १२३॥ उक्ता क्षेत्रानुपूर्वी, सम्मति पूर्वोद्दिष्टामेव क्रमप्राप्तां कालानुपूर्वी विघृणोति मूलम्-से किं तं कालाणुपुवी? कालाणुपुवी दुविहां पण्णत्ता, तंजहा-ओवणिहिया अणोवाणिहियाय ॥सू०१२४॥ छाया-अथ का सा कालानुपूर्वी ? कालानुपूर्वी द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथाऔपनिधिकी अनौपनिधिकी च ॥सू० १२४॥ टीका-'से किं तं ' इत्यादि । व्याख्या सष्टा ॥मू० १२४॥ मूळम् तत्थ णं जा सा ओवणिहिया सा ठप्पा। तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-णेगमववहाराणं संगहस्स य ॥सू०१२५॥ छाया-तत्र खलु या सा औपनिधि सा स्थाप्या। तत्र खलु या सा अनौपनिधिकी सा द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-नैगमव्यवहारयोः संग्रहस्य च।।सू.१२५॥ टीका-'तत्थ णं' इत्यादि । व्याख्यातमायमिदं सूत्रम् ।।मू० १२५॥ , अंत के दो भंग कम कर दिये जावेंगे-(से तं अणाणुपुव्वी) इस प्रकार से क्षेत्र संबन्धी अनानुपूर्वी बनती है । (से तं ओवणिहिया खेसाणुपुब्बी) इस प्रकार औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी है इस प्रकरण के समाप्तहोते ही क्षेत्रानुपूर्वी का स्वरूप समाप्त हो जाता है। ॥ सू० १२३॥ अब सूत्रकार पूर्वोद्दिष्ट ही क्रमप्राप्त कालानुपूर्वी का कथन करते हैं"से कि तं" इत्यादि। शब्दार्थ-इस सूत्र की व्याख्या स्पष्ट की है। ॥ सू० १२४ ॥ આદિને એક ભંગ અને અન્તને એક ભંગ એમ બે ભંગ કમી કરવામાં सारी (से कि त अणाणुपुव्वी) मा २ क्षेत्रसमधी मनानुयूवी मन छे. (से तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुत्री) भानु मोपनिधिही क्षेत्रानुवीनु स्व. ३५ छे. (से तं खेत्ताणुपुब्बी) मोपनिधि क्षेत्रानुपूवी नु थन समास याथी ક્ષેત્રાનુપૂર્વાના સ્વરૂપનું નિરૂપણ અહીં પૂરું થાય છે. સૂ૦૧૨૩ હવે સૂત્રકાર પૂદ્દિષ્ટ ક્રમ પ્રાપ્ત કાલાનુ પૂવીનું કથન કરે છે"से कि त" त्या:શબ્દાથ–આ સત્રની પ્રખ્યા સ્પષ્ટ છેસા . For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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