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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १०६ भोपदर्शनतानिरूपणम् अवक्तव्यकम् । त्रिप्रदेशावगाढा आनुपूर्व्यः, एकपदेशावगाढा अनानुपूर्व्यः, विप्रदेशावगाहा अवक्तव्यकानि ॥सू०१.६॥ टीका-सम्पति भङ्गोपदर्शनतां निरूपयितुमाह-' से कि तं' इत्यादि । टीका सुगमा सू० १०६॥ भंगोपदर्शनता इस प्रकार से है-(तिप्पएसोगाढे ओणुपुव्वी एगपएसो. गाढे अणाणुपुव्वी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए) आकाश के तीन प्रदेशों में रहा हुआ व्यणुक आदि स्कंध आनुपूर्वी इस शब्दका वाच्यार्थ है। एकप्रदेश में स्थित परमाणु संघात, और स्कंध संघात क्षेत्र की अपेक्षा अनानुपूर्वी है तथा आकाश के दो प्रदेशों में स्थित विप्रदेशिक आदि स्कंध क्षेत्र की अपेक्षा अवक्तव्यक है । (तिप्पएसोगाढा आणुपुब्बीओ, एगपएसोगाढा अणाणुपुव्वीओ, दुप्पएसोगाढा अवत्तव्वयाई) आकाश के तीन प्रदेशों में रहे हुए बहुत से व्यणुक आदि स्कंध आनुपूर्वियां इस बहुपचनान्त शब्द के वाच्यार्थ हैं । आकाशके एक प्रदेश में रहे हुए अ. नेक परमाणु संघात आदि द्रव्य, अनानुपूर्वियां इस शब्दके वाच्यार्थ हैं। तथा छिप्रदेश में स्थित अनेक द्विप्रदेशिक आदि स्कंध अवक्तव्यक इस बहुवचनान्त शब्द के वाच्यार्थ हैं । इसकी व्याख्या के लिये पीछे ७९ वें सूत्र की व्याख्या देखनी चाहिये ॥ सू० १०६ ॥ (तिप्पएसोगाढे आणुपुरी एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी दुप्पएसोगाढे अवत्तव्वर ) माशन १ प्रदेशमा २७सा व्याशु (३ मा ६७) माहि આનુપૂવી ' આ શબ્દના વાગ્યાથું રૂપ છે. એક પ્રદેશમાં સ્થિત પરમાણુ સંઘાત, અને સ્કંધ સંઘાત ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ અનાનુપૂવી છે. તથા આકાશના બે પ્રદેશમાં રહેલ દ્વિદેશિક આદિ ધ ક્ષેત્રની अपेक्षाये अवतव्य छे. (तिःपएसोगाढा आणुपुठवीओ एगपएसोगाढा अणाणुपुव्वीओ, दुप्पएसोगाढा अवत्तव्वयाइं) gir विमाY AAILE २४ “આનુપૂવીએઆ બહુવચનાન્ત શબ્દના વાચ્યાર્થ રૂપ છે. આકાશના એક પ્રદેશમાં રહેલા અનેક પરમાણુ સંઘાત આદિ દ્રવ્ય “અનાનપવી એ ” આ પદના વાગ્યાથ રૂપ છે. બે પ્રદેશમાં સ્થિત અનેક દ્વિદેશિક આદિ છે “અવક્તવ્યકે” આ બહુવચનાન્ત પદના વાચ્યાર્થ રૂપ છે. આ સત્રની વ્યાખ્યા સમજવા માટે ૭૯ માં સૂત્રની વ્યાખ્યા વાંચી લેવી. સૂ ૧૬ % For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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