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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र ७९ भङ्गोपदर्शननिरूपणम् ३२९ यदुपए लिए य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य चउभंगो१२॥ अहवा तिप्पए लिए य परमाणुपोग्गले य दुप्पएसिए य आणुपुव्वी य अणाणुपुवीय अवतव्वए य१ | अहवा तिप्पएसिए य परमाणुपोग्गले य दुप्पएसिया य आणुपुव्वीय अणाणुपुव्त्री य अवत्तव्याई चर | अहवा तिप्पए सिए य परमाणुपुग्गला य दुप्पएसिए य आणुपुत्रीय अणःणुपुत्रीओ य अवत्तत्वए य ३ | अहवा तिप्पएसिए य परमाणुषोग्गला य दुष्पएसिया य आणुपुत्री य अणाणुपुत्रीओ य अवसव्वयाई च४ | अहवा तिप्पएसिया य परमाणुपोग्गले यदुपए लिए य आणुपुवीओ य अणाणुपुवी य अवतए ५ | अहवा तिप्पएसिया य परमाणुपोग्गले य दुप्पएसिया आणुपुत्रीओ य अणाणुपुवीय अवत्तवयाई व ६ । अह्वातिप्पएसिया य परमाणुपोगला यदुपए सिए य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुवीओ य अवत्तव्वए य | अहवा-तिप्पएसिया य परमापोग्गला र दुप्पएसिया य आणुपुवीओ य अणाणुपुत्रीओ य अवत्तवयाई घटा से तं नेगमवत्रहाराणं भंगोवदंसणया ।। सू०७९ ॥ - छाया-अथ का सा नैगमव्यवहारयोः भङ्गोपदर्शनता ? नैगमव्यवहारयोः भङ्गोपदर्शनता - त्रिप्रादेशिक आनुपूर्वी १ परमाणुपुद् गलः अनानुपूर्वी २ द्विपदेशिकः अवक्तव्यम् ३, अथवा त्रिपदेशिका आनुपूर्व्यः परमाणुपुद्गला अनानुपूर्व्यः द्विमदेशिकाः अवक्तव्यकानि ३। अथवा त्रिपदेशिकच परमाणुपुद्गलच आनुपूर्वीच अनानुपूर्वी च४ चत्वारो भङ्गाः, अथवा त्रिप्रदेशिकच द्विपदेशिकच आनुपूर्वीच अवक्तव्यकं च४, चत्वारो भङ्गाः, अथवा परमाणुपुद्गलव, द्विपदेशिकच अनानुपूर्वी च अवक्तव्यकं च४ चत्वारो भङ्गाः १२ । अथवा त्रिप्रदेशिकच परमाणुराश्च द्विपदेशिकच आनुपूर्वीच अनानुपूर्वीश्च य अवक्तव्यकं च १, अथवा त्रिपदेशिकश्च परमाणुपुद्गलश्च द्विपदेशिकाश्च आनुपूर्वी च अनानुपूर्वीच अवक्तव्यका निच२, अथवा त्रिमदेशिकच परमाणुपुद्गलाश्च द्विपदे MA 4D For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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