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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अनुये द्रिका टीका सूत्र ६५ अपदविषयमुपक्रमनिरूपणम् टीका-शिष्यःपृच्छति-से कि त' इत्यादि । अथ कोऽसौ चतुष्पदानाम् अश्वान हस्तनामित्यादि-अश्वगजप्रभृति चतुष्पदजीवानां शिक्षागुणविशेषकरणपरिक मणि-सचित्तद्रव्यो क्रमः, खङ्गादिभिस्त्वेषां विनाश करण च, वस्तुविनाशे सचिनद्रव्योपक्रमः, इति वाक्यशेषः । एतन्निगमयन्नाह-स एप उपक्रम इति ॥५.६४। अथापद विपयं द्विविधमप्युपक्रममाह म्--से कि त अपए उवक्रमे ? अपए उणकमे अपयाणं अंबागं अ-बाडगाणं इच्चाइ। से त अपओक्कमे । से तं सचित्तदव्योवा ॥सू०६५॥ छाया-अथ काऽसौ अपद उपक्रमः ? अपद उपक्रमः-अपदानाम् आम्राणाम आम्रातकानाम इत्यादि । स एष अपदोपक्रमः । स एष सचित्त द्रव्योपक्रमः॥६४॥ टीका-शिष्यः पृच्छति-से किं त" इत्यादि । अथ कोऽसौ अपद उपक्रमः ? इति। उत्तरमाह-अपद उपक्रमो हि-अपदानां स्थावरनामकर्मोंदयात् चलनक्रियावर्जितानाम आम्राणाम् आम्रवृक्षाणाम्, तत्फलानी च, तथादेना यह परिकम की अपेक्षा सवित्त द्रव्योपक्रम है । तथा इन्हीं जानवरों को तलवार आदि स मार डालना यह विश की अपेक्षा सचित्त द्रव्योपक्रम है। इस प्रकार यह सचित के भेदरूप चतुष्पद का दोनों प्रकार के द्रव्योपक्रम का कथन है । ॥सूत्र ६४॥ ___अब सत्रकार अपद विषयक दोनों प्रकार के उपक्रम का थन करते हैं- "से किं तं अपए" इत्यादि । ।सूत्र ६५॥ शब्दार्थ-(से किं तं अपए उबक्कमे) हे भदन्त ! अपद-जो आम्र एवं आम्रातक आदि वृक्ष और उन के फल हैं कि जिनमें स्थावर नामकर्म के તે પરિક્રમની અપેક્ષાએ સચિત્ત દ્રપક્રમ છે. તથા એજ જાનવરને તલવાર આદિ વડે મારી નાખવાને જે ઉપકમ છે, તેને વિનાશની અપેક્ષાએ સચિત્ત દ્રવ્યપક્રમ કહે છે. આ પ્રકારે સચિત્તના ભેદરૂપ ચતુષ્પદના બંને પ્રકારના દ્રવ્યાપકમતું અહીં વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. જે સૂ૦ ૬૪ હવે સૂત્રકાર અપદ (ચરણ વિહીન છે) વિષયક બને પ્રકારના ઉપક્રમનું नि३५ ४२ छ. “से कि तं अपए उवक मे" त्याह____ शहाथ-(से किं त अपए उवक्कमे ?) शिष्य गुरुने यो प्रश्न पूछे छ કે હે ભગવન્ ! અપદ ઉપક્રમનું સ્વરૂપ કેવું હોય છે? For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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