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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोवी बाला, गोसं गोसग्गं, गोव्वरं करीसम्मि । गोमद्दा गोअग्गा रच्छाए, गोहुरं च गोविट्ठा ॥ २७० ॥ गोदीणं सिहिपित्ते, गोणिक्को गोसमूहम्मि। पतोयण-जडेसु गोच्चय-गोसण्णा, गोविओ अजंपिरए ॥ २७१ ।। गोअंटा गोचरणेसु, गोइला दुद्धविक्कइणी । गोवालिआउ पाउसकीला, गोरंफिडी गोहा || २७२ ॥ घुम्मिय-मुए गयं, वण-तलार-बालमिग-हाविए गंडो। गत्तं ईसा-पंकेसु, इच्छा-रयणीसु गंधोल्ली ॥२७३ ॥ गंधेल्ली छाया-सरहासु, गहवई य गामिय-ससीसु। गंधोल्लिअं उद्धृसियं हासट्ठाणे य अंगं आलिद्धं ॥ २७४ ॥ बिंदु-अहमेसु गुंपा गुंदा, गुंछा उ दाढियाए वि । गुत्ती बंधण-इच्छा-वयण-लया-मउलिमालासु ॥२७५ ॥ सेज्जाए संमूढम्मि गोविए तह य गुप्पंतं । गुमिलं मूढे गहणे पक्खलिय-आवुण्णएसुं च ॥ २७६ ॥ बुसिया-विलोडिएसुं कंदुय-थवएसु तह गुलिया। संचलिय-खलिय-विहडिय-पूरिय-मूढेसु गुम्मइओ ॥ २७७ ॥ पंक-जवेसुं गोड्डु, गो-गोदा-णइ-सहीसु गोला य । सीया-अक्खि-ग्गीवासुं गोरा, गोणो य सक्खि-उसहेसु ॥ २७८ ॥ घण्णो उरत्थले, घल्लो अणुरत्ते, घरे घंघो । घडि-घडियघडा गोट्ठी, घरगोलीए घरोली य ॥२७९॥ घरभोयणे घरोलं, सधम्मिणीए घरिल्ली य । घंघोरो हिंडणए, घम्मोई गंडुयतिणम्मि ॥ २८० ॥ जहणत्थवत्थभेदे घग्घरं, आदरिसयम्मि घरयंदो। घणवाही इंदे, घरघंटो चडए य, सउलिया घारी ॥२८१ ॥ 303 For Private And Personal Use Only
SR No.020965
Book TitleShastra Sandeshmala Part 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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