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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आणंदियम्मि ऊणंदियं, ऊसलियं सरोमंचे । विक्खित्ते ऊसाइयं, ऊसायंतो अ खेयसिढिलम्मि ऊसुक्कियं विमुक्के, ऊमुत्तियं अवहपासघायम्मि । ऊसुंभिय-ऊसुरुसुंभिया य रुद्धगलरुण्णम्मि गामे संघे ऊरो, जिंभिय-पज्जाउलेसु ऊसत्थो । ऊसवियं उब्भंते तहेव उद्धीकए होइ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 352 For Private And Personal Use Only ॥ १४१ ॥ ॥ १४२ ॥ एलो कुसले, एक्को णेहपरे, चंदणम्मि एक्कंगं । एत्तोप्पं एयप्पहूदिय पविसंतम्मि एमाणो एक्केक्कम अण्णोणे, एक्कनडो तह य कहयम्मि । सा एमिणिया जीए सुत्तेण पमिज्जए अंगं एक्करिल्लो दिअरे, सहोसिए एक्कसाहिल्लो | सा एक्कसिंबली जा सिंबलिपुप्फेहि नवहलिआ एक्कलपुडिंग विरलंबुकणे, एणुवासिओ भेके । एराणी इंदाणी पुरंधिया तव्वयत्था य एलविलो धणिय-उसहा, अधम्म- रोर- प्पिएस एक्कमुहो । ओली कुलपरिवाडी, ओझं अचोक्खम्मि, विमलणे ओप्पा ॥ १४८ ओअं वत्ता, ओरं रुचिरे, करिबंधखायं ओवं च । ओसार- ओसक्का गोवाड-ओसरिया, हिमम्मि ओग्गीओ ।। १४९ ॥ केसविवरणे ओच्छियं, ओंडलं अवि केसगुंफम्मि । ॥ १४७ ॥ ओसिअं अबले, ओणीवी णिव्वे, ओत्थरो वि उच्छाहे ॥ १५० ॥ ओग्गालो ओआलो वहोलए, ओत्थओ अ अवसण्णे । ओक्कियं उसिए, रप्फे ओणिव्वो, णीवियाए ओवड्ढी ॥ १५१ ॥ ओसाओ पहररुजा, ओच्छत्तं दंतधावणए । ओसीसं अववत्ते, ओवट्टो मेहवारिसेअम्मि ॥ १४३ ॥ ॥ १४४ ॥ ।। १४५ ।। ॥ १४६ ॥ १५२ ।।
SR No.020965
Book TitleShastra Sandeshmala Part 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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