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वता उकिलेसे निरयगईजोगमेव बंधंति । तो एत्थ तिरिनराणं अग्गहणं तह य तमतमगा कुव्वती मंदरसा तिरिदुगनीगोत्ततिण्णि पयडीओ । जह किर कोई सत्तमपुढवीए नारगो सुद्धो मिच्छत्तचरिमपुग्गलवेयणसमयम्मि अभिमुो सम्मे । पत्थुयपयडीण तिगं विहे मंदाणुभागं ति एयं किर पर्याडितिगं असुभत्ता करेइ मंदअणुभागं । सव्वविसुद्धो तम्हा सम्माभिमुहो तिई भणियं अण्णो एय विसुद्धी वट्टमाणो उ मणुयदुगउच्चं । बंधइ एत्तो गहणं तमतमगयनारगस्सेह
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सो पुण जा मिच्छजुओ नीगोएणं सहेव तिरियगई । जोगं बंधइ भवपच्चयाओ एसोत्थ परमत्थो एर्गिदियथावरगं ईगाहाए उ मज्झपरिणामा । जं भणियं तत्थ इमो भावत्थो पयडिदुगमेयं असुभं अईकिलिट्ठो एयणुभागं विहेइ उक्किङ्कं । अइसुद्धो उ पणिदिय तसं च एयं पयडिजुयलं उक्ati अणुभागं विइ ई मज्झिमस्स इह गहणं । परियत्तमाणया पुण विभावियव्वा इहं एवं जइया इगिदिथावर-जुयलं बंधित्तु पुण वि बंधेइ । पंचिदियजाइतसं पुणो वि एगिंदिथावरगं
बंध या उ परियत् - माणया इइ च सो उ तज्जोगे । सुविसुद्ध पयडिदुगं मंदणुभागं विहेइ ति आसोहम्मा य भणणा ईसाणंता उ भवणपभिईओ । तब्बंधसु किट्ठा एगिंदियजोगमायावं
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