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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || ५९४ ॥ ॥ ५९५ ॥ ॥ ५९६ ॥ || ५९७ ॥ ॥ ५९८ ॥ ।। ५९९ ॥ मणुदेवगईजोगं बंधइ एयं तु तिरिंगईजोगं । बज्झई तो सत्तम-पुढविनारगस्सेव इह गहणं जा किंचि तत्थ मिच्छं समत्थिता खेत्तभावओ चेव। तिरिगइपाओगं चिय बज्झइ सुरनारया तिण्हं पुव्वुत्ताण किलिट्ठा उक्किट्ठरसस्स बंधगा भणिया। तिरिमणुया एयम्मी संकिलेसम्मि वढ्ता नरगगईजोगं चिय निव्वत्तंती य नेव तज्जोगा। एयपयडी उ बझंति तण्णिरासेण इह गहणं देवाण नारगाणं ते च किलिट्ठा वि तिरियगइजोगं । बंधंति तहा एत्थ वि एस विसेसो इमो नेउ छेवट्ठस्सेसाणगउवरिमदेवा उ उक्कसणुभागं । बंधंति न हेट्ठिमया ते हि अइसंकिलिट्ठा उ एगिदियजोगं चिय कम्मं विरयंति नेव तज्जोगं । एयं बज्झइ अह अट्ठसट्ठिपगईओ भावेमि तत्थ य हासरईथीमाईअंतवज्जसंठाणा । संहणणाइय बारस वज्जिय सेसा उ छप्पण्णा पयई उक्किट्ठरसा सव्वुक्किट्ठम्मि संकिलेसम्मि। वटुंता चउगइया बंधति भाणियपगईओ बारस उक्किट्ठरसं तज्जोगिपगिट्ठया निबंधंति । सव्वुक्किट्ठकिलेसो एयाओ अइच्छिय पराओ अण्णाओ बझंती किंची तब्भावणा उ वित्तीओ। नेया आइमअंतिमसंघयणागीण भावणिया एत्थेव सुए भणिया एयाणं तप्पओगसंकेसो। वटुंता चउगइया उक्कोसरसं पकुव्वंति ॥६००॥ ॥६०१ ॥ ॥ ६०२ ॥ ॥६०३॥ ॥ ६०४ ॥ ॥ ६०५ ॥ ७४ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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