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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। ५८२ ॥ ।। ५८३॥ ॥ ५८४ ॥ ॥ ५८५ ॥ ॥ ५८६ ॥ ॥ ५८७ ॥ बंधो नो संभवइ य अग्गहणं तेण तिरिनराण इह । सुरमिच्छो तिण्णेत्थं ईसाणंतो सुरो चेव दट्ठव्वो च उवरिमया नेव एगिदिएसु गच्छंति । तो पगयं पगइतिगं बंधती नेव तह एसो ईसाणंतो वि सुरो सव्वुक्किट्ठो इगिदिथावरयं । जेट्ठरसं बंधइ आयवस्स तज्जोगसुविसुद्धो अइसुद्धो पुण तिरिमणुजोगं बंधइ न आयवं तत्थ । कितेगिदिसु एत्तो भणियं तज्जोगसुविसुद्धो तह नारया इगिदिसु नो गच्छंतिय तओ न तग्गहणं । तिरिमणुया पुण एत्तिएँ सुद्धीए सुभयरं बंध निव्वत्तत्ति तहेगिदिथावराणं चउपरिणामे च । संकेसे उक्कोसं करंति तावइ किलेस चिय एए नरगइजोगं बंधती तह सुरा उ जह भणिया । उक्कोसकिलेसा वि हु भवपच्चयओ इगिदीणं पाओगं बंधतीय नरगगइजोग्गयं न बंधंति । तिरियनराण वि पत्थुयकम्माण पगिट्ठरसबंधो न घडइ सुरो वि सम्मो नरपाओगं च बंधए तेणं । मिच्छट्ठिीगहणं तम्हेसाणंतओ देवो अइसुद्धो उक्कोसं रसं निवत्तेइ आयवस्सेह । उक्कोससंकिलेसे एगिदियथावराणं च सव्वुक्किटुं ठिई करेई उक्किट्ठरसगयं तह य । तमतमगो उज्जोयं सम्मुप्पत्तीइ कालम्मि मिच्छत्तवेयणंतो उक्कोसरसं विहेइ सुविसुद्धो। अण्णो हि एत्तियाए सोहीए वट्टमाणो उ ॥ ५८८॥ ॥५८९ ॥ ।। ५९० ॥ || ५९१॥ ॥ ५९२ ॥ ॥ ५९३ ॥ ७३ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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