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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुभपयडीणं तु सुभो असुभपयडीण होइ असुभो उ । पुण एक्केको चउहा इग - ठाणिगमाइ भेएहि निबरसाईतुल्लो असुभो खीराइसरिसओ उ सुभो । तत्थ य सहजो अकडिओ रसो उ इगठाणिगो भणिओ अद्धाट्टो दुट्टाणिगो उ भागे दुगम्मि आवट्टे । भागति अवसेसो तिद्वाणो तह तिभागेसु आवट्टिएस तुरिओ इगभागवसेसए उ चउभागो । अज्झवसायविसेसे रसभेयत्तं इमं नेयं एगट्टाणाईणं रसाण चुलुगाइसलिलपक्खेवे । मंदाइरसविसेसे एक्केके हुंति णंताओ तो भागबंधे अट्ठ दुवाराइ तत्थ सायाई । दारं पच्चयदारं सुभअसुभपरूवणा चेव बंधसामित्तद्दारं घायाइदारट्ठाणदारं च । पच्चयदारविवाग-द्दारं इह अट्ठ दाराई तेवीसाहि गाहाहि भणिस्सइ तत्थ मूलपयडीणं । घाइप्पभिईगाहाजुगेण सायाइवण्णणया धुवबंधुत्तरपयडीण अट्ठगाहाऍ तह य अधुवाणं । उक्कोसगगाहाए सायाई वण्णणा तह य सुभगाहाए पच्चय- परूवणा असुभसुभपवण्णणया । बायालागाहाए तह आयवमाइगाहा चउहि उक्कोसबंध - सामित्तं चोदसाइगाहाहि । पंचहि जहण्णबंध स्सामित्तं केवलाईहि तिहिं गाहाहिं घाईवण्णणया तहणुभागठाणाणं । आवरणगाहाए पण्णवणा चउपंचगाहाए Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir F3 For Private And Personal Use Only ॥ ४६२ ॥ ॥ ४६३ ॥ ॥ ४६४ ॥ ॥ ४६५ ॥ ॥ ४६६ ॥ ॥ ४६७ ॥ ॥ ४६८ ॥ ॥ ४६९ ॥ ॥ ४७० ॥ ॥ ४७१ ॥ ॥। ४७२ ।। ॥ ४७३ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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