________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
।। २९४ ॥
।। २९५ ।।
।। २९६ ॥
।। २९७ ॥
॥ २९८॥
॥ २९९ ॥
एत्थ य भूयग्गारो इइ सुत्ते किरइ य उवलक्खणओ। संगहियं ट्रुव्वं एत्थं सेसं पि बंधतिगं छब्भूयगार बंधा सत्तेव हवंति अप्पयरबंधा। तिण्णिव्वत्तगबंधा अवट्ठिया पटुनामम्मि एत्थ य भूयक्कारप्पयरावट्ठियगबंधभावणिया । पुव्वगमेणं नेया नवरं किंची पवक्खामि नामस्स बंधट्ठाणेसु अडसु सत्तंतरेसु डात छऊ । वुड्डीए भूयगार इगेगतीसाएँ अंतरए जसमेगविहं बंधिय-सेणीआ पडि पुव्वकरणम्मि । इगतीसं बंधंतस्स भूयगारो उ तो होइ सो छ? एव नो सत्त-मो त्ति इगतीसरूवठाणस्स । उभओ वि हु एगत्ता इह छट्ठो भूयगारो त्ति अपुवम्मि य सुरगइजोग्गा अडवीसपभिइठाणाउ। चत्तारि उ बंधित्ता तव्वोच्छेयम्मि एगविहं बंधतस्स उ आइम-समए पढमो उ अप्पयरबंधो। इगतीसइबंधाओ तीसइबंधम्मि दुइओ उ इह होई आहारग-दुगतित्थजुयाओ पुव्वअडवीसा। इगतीसाओ बंधिय-देवोवण्णस्स पढमम्मि समयम्मि मणुयजोग्गं पुव्बुत्तं तीसई पबंधेइ । सोदियलोयाचविउं माणुस्सेसुं समुववण्णो सुरगइजोगं तित्थयर-नामसहियं तु पुव्वगुणतीसं। बंधंतस्स उ होइ तइओ अप्पयरबंधो उ तिरिनरअण्णतरो तिरि-जोग्गं गुणतीससण्णियं बंधं । बंधिय सुद्धिवसाओ अडवीसं सुरगईजोग्गं
॥३०० ॥
।। ३०१ ॥
॥ ३०२ ॥
।। ३०३॥
॥ ३०४ ॥
૪૯
For Private And Personal Use Only