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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक्कासीइ छावत्त-री य छावट्ठी सत्तवण्णा य । पण्णा तेयालीसा छत्तीसा चेव पणतीसा ॥४१॥ तित्तीस ऽट्ठावीसा अट्ठारस चेव तह य सत्तरस । इक्कारस दस नवगं गणाण माणं जिणिदाणं ॥ ४२ ॥ इक्कारसउ गणहरा जिणस्स वीरस्स सेसयाणं तु । जावइया जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स ॥४३॥ हत्थिपुरम्मि अओज्जा सावत्थी चेव तह य साएयं । विजयपुर बंभथलयं पाडलिसंडं पउमसंडं च ॥४४॥ सीहपुरं द्धिपुरं सिद्धत्थपुरं महापुरं चेव । धण्णकड वद्धमाणं सोमणसं मंदरं चेव ॥ ४५ ॥ चक्कपुरं रायपुरं मिहिला रायगिह मेव बोधव्वं । वीरपुरं बारवई कोइकडं कुल्लयग्रामो ॥ ४६॥ एएसु पढमभिक्खा लद्धा उ जिणवरेहिं सव्वेहिं । दिण्णाओ जेहि पढमं तेसिं नामाणि वुच्छामि सिज्जंस बंभदत्तो सुरिंददतो इंददत्तो य। पउमे य सोमदेवे महिंद तह सोमदत्ते य पुस्से पुणव्वसू पुण नंद सुदंसणे जए य विजए य। तत्तो य धम्मसीहे सुमित्त तह वाघसीहे य ॥ ४९ ॥ अपराजिय विससेणे वीसइमे होइ बंभदत्ते य। दिण्णे चरदिण्णे पुण धण्णे बहुले य बोधव्वे ॥ ५० ॥ सव्वेहि पि जिणेहि य जहियं लद्धाओ पढमभिक्खाओ। तहिय वसुहाराओ वुट्ठाओ पुप्फवुडीओ ।। ५१ ॥ अद्धतेरसकोडी उक्कोसा तत्थ होइ वसुहारा । अद्धतेरसलक्खा जहण्णिया होइ वसुहारा ॥५२॥ ॥ ४७ ॥ || ४८॥ 369 For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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