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पत्तं पत्ताबंधो, पायट्ठवणं च पायकेसरिया । पडलाइ रयत्ताणं, च गुच्छओ पायनिज्जोगो
॥ २७८ ॥ तिण्णेव य पच्छागा, रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती । बार जिणकप्पियाणं थेराण समत्तकडिपट्टा
॥ २७९ ॥ उग्गहणंतग पट्टो, अद्धोरू चलणिआ य बोधव्वा । अभिंतरबाहिनियं-सणी अ तह कंचुए चेव ॥ २८० ॥ ओगच्छिय वेगच्छिय, संघाडी खंधगरणि उवगरणा । पुबिल्लतेर कमठग-सहिआ अज्जाण पणवीसा ॥ २८१ ॥ सामाइय चारित्तं, छेओवट्ठावणं च परिहारं । तह सुहुमसंपरायं, अहखायं पंच चरणाई
।। २८२ ॥ दुण्हं पण इअराणं, तिण्णिउ सामाइय सुहुमअहखाया। जीवाई नवतत्ता, तिण्णि हवा देवगुरुधम्मा
॥ २८३॥ सव्वेसि जियअजिया, पुण्णं पावं च आसवो बंधो। संवरनिज्जरमोक्खा, पत्तेअमणेकहा तत्ता
|| २८४॥ सव्वेहिं चउ समइआ, सम्मस्सुअ देससव्वविरईहिं। भणिआ सागरकोडा-कोडी सेसेसु कम्मेसु
॥ २८५ ॥ देसिअ? राइअ २ पक्खिय ३ चउमासिअ वच्छरीअ नामाओ। दुण्ह पण पडिकमणा, मज्झिमगाणं तु दो पढमा ॥२८६ ।। मूलगुणेसु अ दुण्हं १-२४ सेसाणुत्तरगुणेसु निसिभुत्तं । दसहा दुण्हं १-२४ भणिओ, चउहा अण्णेसि ठिइकप्पो ॥ २८७ ।। अचेलुक्कदेसिय, सिज्जायर रायपिंडकिइकम्मे। वय जिट्ठ पडिक्कमणे मासं पज्जोसवणकप्पे ।। २८८॥ सिज्जायर पिंडम्मी, चाउज्जामे अ पुरिसजिट्टे अ। किइकम्मस्स अ करणे, चत्तारि अवट्ठिआ कप्पा ॥ २८९॥
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