SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विक्खंभुसु जीवाणू, बाहा पयरं च दाहिणाण जहा । तह चेव उत्तराण वि, एरवयाईण बोधव्वा जोयणसयमुव्विद्धा, कणगमया सिहरिचुल्लहिमवंता । रुप्पिमहाहिमवंता, दुसउच्चा रुप्पकणगमया चत्तारि जोयणसए, उब्विद्धा निसहनीलवंताऽवि । सिहो तवणिज्जमओ, वेरुलिओ नीलवंतगिरी वेयड्डूमालवंते, विज्जुप्पभनिसढनीलवंते य । नव नव कूडा भणिया, एक्कारस सिहरिहिमवंते रुप्पिमहाहिमवंते, सोमणसे गंधमायणे कूडा । अट्ठट्ठ सत्त सत्त य, वक्खारगिरीसु चत्तारि सिद्धे भरहे खंडग-मणिभद्दे पुण्णभद्दवेयड्ढे । तिमिसगुहुत्तरभरहे, वेसमणे कूड वेयड्ढे सिद्धे य चुल्लहिमवे, भरहे य इलाए होइ देवीए । गंगावत्तणकूडे, सिरिकूडे रोहियंसे य तत्तोय सिंधुयाव-तणे य कुडे सुराए देवीए । हेमवए वेसमणे, एक्कारस कुड हिमवंते सिद्धे य महाहिमवे, हेमवए रोहिया हिरकुडे | हरिकंता हरिवासे, वेरुलिए अट्ठ महाहिमवे सिद्धे निस हरिवासे, विदेहे हरि धिइ य सीयोया । अवरविदेहे रुयगे, नव कूडा होंति सिहम्मि सिद्धे य गंधमायण-गंधिय तह उत्तराफलिहकूडे । तह लोहियक्खकूडे, आणंदे चेव सत्तमए सिद्धे य मालवंते, उत्तरकुरु कच्छसागरे रुयगे । सीयाए पुण्णभद्दे, हरिस्सहे चेव नव कूडा ૨૦૯ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ॥ १२९ ॥ ॥ १३० ॥ ॥ १३१ ॥ ॥ १३२ ॥ ॥ १३३ ॥ ॥ १३४ ॥ ।। १३५ ।। ॥ १३६ ॥ ॥ १३७ ॥ ॥ १३८ ॥ ॥ १३९ ॥ १४० ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy