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दोकप्प कायसेवी, दो दो दो फरिस रूव सद्देहि। चउरो मणेणुवरिमा अप्पवियारा अणंतसुहा
॥ १६८॥ जं च कामसुहं लोए, जं च दिव्वं महासुहं । वीयराय सुहस्सय, णंतभागं पि नग्घई
॥१६९ ॥ उववाओ देवीणं, कप्पदुगं जा परओ सहस्सारा । गमणागमणं नत्थि, अच्चुय परओ सुराणं पि
॥१७० ॥ तिपलिय तिसार तेरस, साराकप्प दुग तइय लंत अहो । किब्बिसिय न हुंति उवरिं, अच्चुय परओऽ भिओगाई ॥ १७१ ।। अपरिग्गहदेवीणं, विमाण लक्खा छ हुंति सोहम्मे । पलियाई समयाहिय, ठिइ जासिं जाव दसपलिया ॥१७२॥ ताओ सणंकुमारा, णेवं वटुंति पलिय दसगेहि। जा बंभ सुक्क आणय, आरण देवाण पण्णासा ॥१७३॥ ईसाणे चउलक्खा, साहिय पलियाइ समय अहियठिई। जा पनर पलिय जासिं, ताओ माहिंददेवाणं
॥ १७४ ।। एएण कमेण भवे, समयाहिय पलिय दसग वुड्डीए। लंत सहसार पाणय, अच्चुय देवाण पणपण्णा ॥१७५ ॥ किण्हा नीला काऊ, तेऊ पम्हाय सुक्कलेसाय । भवण वण पढम चउलेस, जोइस कप्पदुगे तेऊ ॥ १७६ ॥ कप्पतिय पम्हलेसा, लंताइसु सुक्कलेस हुँति सुरा । कणगाभ पउमकेसर, वण्णा दुसु तिसु उवरि धवला ॥ १७७॥ दसवास सहस्साइं, जहण्णमाउं धरंति जे देवा । तेसिं चउत्थाहारो, सत्तहि थोवेहिं ऊसासो
॥ १७८ ॥ आहि वाहि विमुक्कस्स, नीसासूसास एगगो। पाणु सत्तइमो थोवो, सोवि सत्तगुणो लवो
।। १७९ ॥
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