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नरयाओ उव्वट्टा,गभ्भे पज्जत्त संख जीवीसु। नियमेण होइ वासो, लद्धीण उ संभवं वोच्छं ॥ ४०६॥ तिसु तित्थ चउत्थाए, केवलं पंचमीए सामण्णं, छट्ठीए विरयविरई, सत्तम पुढवीए समत्तं पढमाओ चक्कवट्टी, बीयाओ रामकेसवा हुंति । तच्चाओ अरिहंता, तहतकिरिया चउत्थीओ उव्वट्टिया य संता, नेरइआ तमतमाओ पुढवीओ। न लहंति माणुसत्तं, तिरिक्ख जोणि उवणमंति छट्ठीओ पुढवीओ, उव्वट्टा इह अणंतर भयरम्मि भज्जा माणुस जम्मे, संजमलंभेण उ विहीणा ॥४१० ॥ बलदेव चक्कवट्टी, देयट्ठाणेसु हुंति सव्वेसु । अरिहंत वासुदेवा, विमाणवासीसु बोधव्वा
॥४११ ॥ अरिहंत चक्कवट्टी, बलदेवा तह य वासुदेवाय । न मणुय तिरिएहितो, अणंतरं चेव जायंति
॥ ४१२ ॥ भूदगपंकप्पभवा, चउरो ह हरियाओ छच्च सिझंति । विगला लभिज्ज विरई, न हु किंचि लभिज्ज सुहुम तसा ।। ४१३ ।। मंडलियमणुअरयणाहे, सत्तम तेउ वाउ वज्जेहिं । वसुदेवमणुयरयणा, अणुत्तर विमाण वज्जेहि ।। ४१४ ॥ तिरित्थमणु असंखा, उण्हेिं कप्पाओ जा सहस्सारो । हय-गय-रयणुववाओ, नेरइएहिं च सव्वेहिं
॥ ४१५ ॥ एगिदियरयणाई, असुरकुमारेहिं जाव ईसाणे। उववजंति य नियमा, सेसठाणहिं पडिसेहो ।। ४१६ ॥ चक्कं छत्तं दंडं, तिण्णि वि एयाई वाममित्ताई। चम्मं दुहत्थ दीहं, बत्तीसं अंगुलाई असी
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