SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||३८२ ।। ॥३८३॥ ।। ३८४ ॥ ।। ३८५ ।। ॥३८६ ॥ ।। ३८७ ।। पढमाए पुढवीए, नेरइयाणं तु होइ उच्चत्तं । सत्त धणु तिण्णि रयणा, छच्चेव य अंगुलाई तु रयणाएपढमपयरे, देहपमाणेण होइ एयं तु । सत्त धणु तिण्णि रयणी, छच्चेव य अंगुला पुण्णा सो चेव य बीयाए, पढमे पयरम्मि होइ उस्सेहो । हत्थतिय तिण्णि अंगुल, पयरे पयरे य वुड्डीओ इक्कारसमे पयरे, पण्णरस धणूणि दोण्णि रयणीओ। बारस य अंगुलाई, देहपमाणं तु विण्णेयं सो चेव य तइयाए, पढमे पयरम्मि होइ उस्सेहो । सत्त रयणीओ अंगुल, अणुवीसं संपवुड्डीय पयरे पयरे य तहा, नवमे पयरम्मि होइ उस्सेहो । धणुआणि एगतीसं, एक्का रयणी य नायव्वा सो चेव चउत्थीए, पढमे पयरम्मि होइ उस्सेहो । पंच धणुवीस अंगुल, पयरे पयरे य वुड्डीय जा सत्तमए पयरे, नेरइयाणं तु होइ उस्सेहो । बावट्ठी धणुयाई, दोण्णि रयणी य बोधव्वा सो चेव पंचमीए, पढमे पयरम्मि होइ उस्सेहो । पनरस धणूणि दोहत्थ, सड्ढ पयरेसु वुड्डीय तह पंचमए पयरे, उस्सेहो, धणुसयं तु पणवीसं । सो चेव य छट्ठीए, पढमे पयरम्मि होई उस्सेहो । छावट्ठि धणुह सड्डी पयरे पयरे य होइ वुड्डीओ। छट्ठीय तईय पयरे, दो सय पण्णासया हुंति सत्तमियाए पयरे उस्सेहो धणु सयाइं पंचेव। भवधारणिज्जए सा, उक्कोसा होइ नायव्वा ॥३८८॥ ॥ ३८९ ॥ ।। ३९० ॥ ॥ ३९१ ॥ ।। ३९२ ॥ ॥ ३९३ ॥ ૨૨૯ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy