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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ २८६॥ ।। २८७ ॥ ।। २८८ ॥ ।। २८९ ॥ ॥ २९१ ॥ सरीरेणोयाहारो, तया य फासेण लोमआहारो । पक्खेवाहारो पुण, कावलिउ होइ नायव्वो ओयाहारा जीवा, सव्वे अपज्जत्तगा मुणेयव्वा। पज्जत्तगाओ लोमे, पक्खेवो होति भइयव्वा एगिदिय देवाणं, नेरइयाणं च नत्थि पक्खेवो। सेसाणं जीवाणं, संसारत्थाण पक्खेवो लोमाहारा एगिदिया ओ नेरइयसुरगणा चेव । सेसाणं आहारो, लोमेपक्खेवओ चेव ओयाहारा मणभक्खिणो य, सव्वे वि सुरगणा हुति । सेसा हवंति जीवा, लोमाहारा मुणेयव्वा सचित्ताचित्तोभय, रूवो आहार सव्व तिरियाणं । सव्वनराणं च तहा, सुर-नेरइयाण अचित्तो आभोगाणाभोगा, सव्वेर्सि होइ लोमआहारो । नेरइयाण मणुण्णो, परिणमइ सुराण सुमणुण्णो इगविगलिदियनारयजीवाणं तो मुहुत्तमुक्कोसो । पंचिंदिय तिरियाणं, छट्ठा मणुआण अट्ठमओ आहारो देवाणं, सायरमज्झम्मि दिणपहुत्तंतो । सायरसंखाए पुणो, वाससहस्सेहि भणिओ अ हिट्ठस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे उसासनीसासो, एस पाणो त्ति वुच्चइ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे। लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुत्ते वियाहिए एगा कोडी सत्तसट्ठि, लक्ख सत्तहुत्तरी सहस्सा य। दो य सया सोलहिया, आवलियाणं मुहुत्तम्मि ॥ २९२॥ ॥ २९३॥ ॥ २९४ ॥ ॥ २९५ ॥ ॥ २९६ ॥ ॥ २९७ ॥ ૨૨૧ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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