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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोलस चेव सहस्सा, अटु य चउरो य दुण्णि य सहस्सा। जोइसियाण विमाणा, हवंति देवा उ एवइया ॥११८॥ ससिरविणो उ विमाणा, हवंति देवाण सोलस सहस्सा । गहरिक्खतारगाणं, अट्ठ चउक्कं दुगं चेव ॥ ११९॥ पुरओ वहंति सीहा, दाहिणओ कुंजरा महाकाया। पच्छत्थिमेण वसहा तुरगा पुण उत्तरे पासे ॥ १२० ॥ चंदेहिं रखी सिग्घा, रविणो उ भवे गहाउ सिग्घयरा । तत्तो नक्खत्ताई, नक्खत्तेहिं तु ताराउ ॥ १२१ ॥ सव्वप्पगई चंदा, तारा पुण हुंति सव्वसिग्घयरा । एसो गइ विसेसो, तिरियलोए विमाणाणं ॥ १२२॥ अप्पड्डियाउ तारा, नक्खत्ता खलु तउ महड्डियरा नक्खत्तेहिं तु गहा, गहेहिं सूरा तउ चंदा ॥ १२३ ॥ पंचेव धणुसयाई, जहण्णयं अंतरं तु ताराणं । दो चेव गाउयाई, निव्वाघाएणमुक्कोसं ॥ १२४ ।। सूरस्स य सूरस्स य, ससिणो ससिणो उ अंतरं दिटुं। बाहिं तु माणुसनगस्स, जोयणाणं सयसहस्सं ।। १२५ ॥ सूरंतरिया चंदा, चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता। चित्तंतरलेसागा, सुहलेसा मंदलेसा य ॥ १२६॥ किण्हं राहुविमाणं, निच्चं चंदेण होइ अविरहियं । चउरंगुलमप्पत्तं, हिट्ठा चंदस्स तं चरइ ॥ १२७ ॥ बत्तीसट्ठावीसा, बारस अट्ठय चउरासयसहस्सा। आरेण बंभलोए, विमाणसंखा भवे एसा ।। १२८ ॥ पण्णास चत्त छच्चेव, सहस्सालंतसुक्कसहस्सारे । सय चउरो आणयपाणएसु तिण्णारणच्चुयए ॥१२९ ।। २०७ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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