SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ८२ ॥ ॥८३ ।। ॥ ८४ ॥ ।। ८५ ॥ ।। ८६॥ ॥ ८७॥ बावत्तरि चंदाणं, बावत्तरि सूरियाण पंतीए । पढमाइ अंतरं पुण, चंदा चंदस्स लक्खदुगं जो जाइ सयसहस्साई, वित्थडो सागरो य दीवो वा । तावइया उ तर्हि, पंतीउ चंदसूराणं गच्छोत्तरसंविग्गो, उत्तरहीणम्मि पक्खिवेआई । अंतिमधणमाइजुअं, गच्छद्धगुणे च सव्वधणं उद्धार सागराणं, अड्डाइज्जाण जत्तिया समया। दुगुणा दुगुणपवित्थर, दीवोदहि होति एवइया अड्डाइज्जा दीवा, दुण्णि य समुद्दा माणुसं खित्तं । पणयालसयसहस्सा, विक्खंभायामउ भणियं जंबुदीवो धायइ, पुक्खरदीवो य वारुणिवरो य । खीरवरो विय दीवो, घयवरदीवो य खोयवरो नंदीसरो य अरुणा, अरुणावातो य कुंडलवरो य । तह संख रुअगभुअवर, कुसकुंचवरो तउ दीवो जंबुद्दीवे लवण, धायइसंडे य होइ कालोउ। सेसाणं दीवाणं, हवंति सरिसनामया उदही एवं दीवसमुद्दा, दुगुणा दुगुणा भवे असंखिज्जा, भणिओ य तिरियलोओ, सयंभूरमणोदही जाव पणयालीसं लक्खा, सीमंतय माणुसं उडु सिवं च अपइट्ठाणो सव्वट्ठसिद्धि दीवो इमो लक्खो पत्तेय रसा चत्तारि, सागरा तिण्णि हुँति उदयरसा । अवसेसा य समुद्दा, इक्खुरसा हुंति नायव्वा वारुणिवर खीरवरो, घयवर लवणो य होंति पत्तेया। कालो य पुक्खरोहि य, सयंभुरमणो य उदकरसा ॥८८ ॥ ।। ८९ ॥ ।। ९० ।। ॥ ९१ ।। ॥ ९२ ॥ ॥ ९३ ॥ ૨૦૪ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy