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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ७४ ।। सव्वेसि सूराणं, अभिंतरमंडलाओ बाहिरियं । होइ अबाहा नियमा, पंचेव दसोत्तरसयाई ॥ ७० ॥ विसेइ उयहिम्मि, तिण्णेवसयाई तीसअहियाइं। असियं च जोअणसयं, जंबुद्दीवम्मि पविसेइ ॥७१ ॥ पण्णरसमंडलाई, चंदस्स महसिणो उवइसंति । चुलसीइ मंडलसयं, अणूणगं बिति सूरस्स ।। ७२ ॥ जोयणसयं असीयं, अंतो ओगाहिउण दीवम्मि। तस्सुवरिं तु सपरिही, अभिंतरमंडलरविणो ॥ ७३ ॥ तीसाणि तिण्णि जोयणसयाणि उगाहिऊण जलहिम्मि । तस्सुवरिं तु स परिही, बाहिरिय मंडलरविणो बे जोयणाणि सूरस्स, मंडलाणं हवंति अंतरए, चंदस्स वि पणतीसा, साहिया जोयणा हुंति ।। ७५ ।। ते मेरु परियडंता पयाहिणावत्तमंडला सव्वे । अणवट्ठियजोगजुआ, चंदा सूरा गहगणा य ॥ ७६ ॥ नक्खत्ततारगाणं, अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा । तेच्चिय पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति चंदाओ सूरस्स, सूरा चंदस्स अंतरं होइ । पण्णाससहस्साई, जोयणाणं समहियाई ॥ ७८॥ पणयालसयं पढमिल्लुयापंतीए चंदसूराणं । तेण परं पंतीउ, छगसत्तगवुड्डिओ नेया ॥ ७९ ॥ चोयालसय पढमिल्लुयाए, पंतीए चंद सूराणं । तेण परं पंतीउ, चउरुत्तरियाइ वुड्डीए (आशांबरीयमतगाथेयम्) ८० ।। एगा जोयण कोडी, लक्खाबायाल तीसइ सहस्सा । समय खित्तपरिरओ, दो चेव सया अउणपण्णा ॥ ८१ ॥ ॥ ७७॥ २०३ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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