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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पलिय चउत्थ जहण्णु-क्कोस, सविसेसं होइ नक्खत्ते । ताटुभागु सविसेसु, जहण्णुक्कोसगं अहवा ॥ १० ॥ तिसु एग अद्ध पाओ, तियद्ध साहिचउरटुभागो य।। चउजुअले चउभागो, दुअट्ठलक्खे सहस्सद्धं ।। ११ ।। दो साहि सत्त साहिय, दस चउदस सत्तरेव अयराई । सुहम्मा जासुक्को, तदुवरि एक्केकमारोवे ॥ १२ ॥ एसा ठिइ उक्कोसा, तेत्तीस जाव होति सबढे। एत्तो उ जहण्ण ठिइ, वोच्छामि अहाणुपुवीए ॥ १३ ॥ पलियं अहियं दो सार, साहिया सत्त दस य चउदस य । सत्तरस सहस्सारे, तदुवरि एक्केकमारोवे ॥ १४॥ सपरिग्गहेयराणं, सोहम्मीसाण पलियसाहियं । उक्कोस सत्त पण्णा, नव पणपण्णाय देवीणं ॥ १५ ॥ दुसु तेरस दुसु बारस, छप्पण चउ चउ दुगे दुगे य चउ। गेविज्जाइसु दसगं, बावट्ठी उड्डलोगम्मि ॥ १६ ॥ सोहमुक्कोस ठिई सग पयर विहत्तु इच्छ संगुणिया । पयरुक्कोस ठिइओ, जहण्ण पलिओवमं पढमे ॥ १७ ॥ पलिओवमं जहण्णा, दो तेरस भाग उदहि नामस्स उक्कोसठिई भणिया सोहम्मे पत्थडे पढमे ॥ १८ ॥ एवं दुगवुड्डीए, नेयव्वं जाव अंतिमं पयरं । भागेहिं तओ करणं, जा तेरसमे दुवे अयरा ।। १९ ॥ कप्पस्स अंतिपयरे, नियकप्प वडिसया विमाणाओ। इंदनिवासा तेसिं, चउद्दिसि लोगपालाणं ॥ २० ॥ सुर कप्प ठिई विसेसो, सग पयर विहत्तु इच्थ संगुणिओ। हिट्ठिल्ल ठिई सहिओ, इच्छियपयरम्मि उक्कोसा ॥ २१ ॥ ૧૯૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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