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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ १८॥ ॥ १९॥ ॥ २० ॥ ॥ २१॥ ॥ २२ ॥ ॥ २३ ॥ चत्तारि आइ नवबंधएसु उक्कोस सत्तमुदयंसा। पंचविहबंधगे पुण, उदओ दुण्हं मुणेअव्वो इत्तो चउ बंधाई, इक्किक्कुदया हवंति सव्वे वि । बंधोवरमे वि तहा, उदयाभावे वि वा हुज्जा इक्कग छक्किक्कारस, दस सत्त चउक्क इक्कगं चेव । एए चउवीसगया, बार दुगिक्कम्मि इक्कारा नवतेसीइसएहि, उदय विगप्पेहि मोहिआ जीवा। अउणुत्तरिसीआला, पयविंदसएहि विण्णेआ नवपंचाणउअसए, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा। अउणुत्तरि एगुत्तरि, पयविंदसएहिं विण्णेआ तिण्णेव य बावीसे इगवीसे अट्ठवीस सत्तरसे । छच्चेव तेर नव-बंध एसु पंचेव ठाणाणि पंचविहचउविहेसुं, छछक्क सेसेसु जाण पंचेव । पत्तेअं पत्तेअं चत्तारि अ बंधवुच्छेए दसनवपण्णरसाइं. बंधोदयसंत पयडिठाणाणि । भणिआणि मोहणिज्जे, इत्तो नाम पर वुच्छं तेवीस पण्णवीसा, छव्वीसा अट्ठवीम गुणतीसा । तीसेगतीसमेगं, बंधट्ठाणाणि नामस्स चउ पणवीसा सोलस नव बाणउईसया य अडयाला। एयालुत्तरछायालसया इक्किक्क बंधविही वीसिंगवीसा चउवीसगाउ एगाहिआ य इगतीसा । उदयट्ठाणाणि भवे नव अट्ठ य हुंति नामस्स इक्क बिआलिक्कारस, तित्तीसा छस्सयाणि तित्तीसा। बारससत्तरससयाण-हिगाणि बिपंचसीईहिं ॥ २४॥ ॥ २५ ॥ ॥२६॥ ॥ २७ ॥ ॥ २८॥ ॥ २९ ॥ ૧ર For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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