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दहिवद्दमी सिरिसिद्ध रायभूवइपसायगेहस्स । अण्णलदेवनिवइणो सुहरज्जे वट्टमाणम्मि निप्फत्तिमुवगयमिणं ता नंदउ जाव सिद्धिसुहमूले । तियलोक्कपायडजसो जिणवरधम्मो जए जयइ
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॥ लघुशतकभाष्यम् ॥
मिऊण जिणं वृच्छामि बन्धसयगे चउण्ह बन्धाणं । दाराणि तहा संखामित्तनिविट्ठा उ पयडीओ
तह साइआइ पच्चय सुहासुहं सामि घाइय अघाई । भांति ठाण पच्चय विवागभेया य रसबन्धे कम्मपरसग्गहणविहि भाग तह साइआइ सामित्तं । rors पएसबन्धे ठिइबन्धऽद्वारस इमाओ
॥ १ ॥
पढम पए पगइए (पगइबन्धे) साइआई भुयग्गारमाई सामित्तं । साईआई सुहअसुहपच्चयं सामिणो बीए
॥ २ ॥
संजलण नाण दंसणचक्क विग्घाणि पण्णरस एया। नरतिरिनरयाउरेविगलरे सुहुमतिग विउव्विछकाणि छेव उज्जोयं तिरिओरालियदुगाणि छप्पयडी । तिण्णि पयडी उ आयवथावरए गिंदिजाईओ छप्पयडी उ विउव्वियछक्कं इत्तोऽणुभागबंधम्मि । अगुरुलहु कम्मतेयगसुवण्ण चउ निमिण अट्ठ इमा मिच्छ कसाय दुगंछा भय दंसण नाण विग्ध उवघाया । असुभा च वण्णाई तेयालीसा इमा होइ
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॥। ११२२ ॥
॥। ११२३ ॥
॥ ३ ॥
॥ ४ ॥
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॥ ६ ॥
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