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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। ३६ ॥ ॥ ३७॥ ॥३८॥ ॥ ३९ ॥ ॥ ४० ॥ ॥४१॥ अणुईरन्त अजोगी अणुहवइ चउव्विहं गुणविसालो। इरियावहं न बन्धइ आसण्णपुरक्खडो सन्तो इरियावहमाउत्ता चत्तारि व सत्त चेव वेदेन्ति। उईरन्ति दुण्णि पञ्च य संसारगयम्मि भयणिज्जा छप्पञ्च उदीरन्तो बन्धइ सो छब्विहं तणुकसाओ। अट्ठविहमणुहवन्तो सुक्कज्झाणा डहइ कम्म अट्ठविहं वेयन्ता छविहमुईरन्ति सत्त बन्धन्ति । अनियट्टी य नियट्टी अप्पमत्तजई य ते तिण्णि अवसेसट्टविहकरा वेयन्ति उदीरगा वि अट्ठण्हं । सत्तविहगा वि वेइन्ति अट्ठगमुईरणे भज्जा णाणस्स दंसणस्स य आवरणं वेयणीयमोहणियं । आउयनामं गोयं तहंतरायं च पयडीओ पञ्च नव दोण्णि अट्ठावीसा चउरो तहेव बायाला । दोण्णि य पञ्च य भणिया पयडीओ उत्तरा चेव साइअणाई धुवअदुवो य बन्धो य कम्मछक्कस्स । तइए साइयसेसो अणाइधुवसेसओ आऊ उत्तरपयडीसु तहा धुविगाणं बन्धचउविगप्पो य । साई अछुवियाओ सेसा परियत्तमाणीओ चत्तारि पयडिठाणाणि तिण्णि भूयगारअप्पतरगाणि । मूलपयडीसु एवं अवढिओ चउसु नायब्वो एगादहिगे पढमो एगादी ऊणगम्मि बीओ य । तत्तियमित्तो तईओ पढमे समये अवत्तव्वो तिण्णि दस अट्ठ ठाणाणि दंसणावरणमोहनामाणं । एत्थ य भूओगारो सेसेसेगं हवइ ठाणं ॥ ४२ ॥ ॥४३॥ ॥४४॥ ।॥ ४५ ॥ ॥ ४६॥ ॥४७॥ ४ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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