SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ २४॥ ॥ २५ ॥ ॥ २६ ॥ ॥ २७ ॥ ॥ २८ ॥ ॥ २९ ॥ पयईअ तणुकसायो दाणरओ सीलसंजमविहूणो। मज्झिमगुणेहि जुत्तो मणुयाउं बन्धए जीवो अणुवयमहव्वएहि य बालतवाकामनिज्जराए य । देवाउयं निबन्धइ सम्मद्दिट्टी उ जो जीवो मणवयणकायवंको माइल्लो गारवेहि पडिबद्धो । असुहं बन्धइ कम्मं तप्पडिवक्खेहि सुहनामं अरहन्ताइसु भत्ती सुत्तरुई पयणुमाण-गुणपेही । बन्धइ उच्चागोयं विवरीए बन्धए इयरं पाणवहाईसु रओ जिणपूआमोक्खमग्गविग्घकरो । अज्जेइ अन्तरायं न लहइ जेणिच्छियं लाभं बंधट्ठाणा चउरो तिण्णि य उदयस्स हुन्ति ठाणाणि । पंच य उदीरणाए संजोयमओ परं वुच्छं छसु ठाणगेसु सत्तट्टविहं बन्धन्ति तिसु य सत्तविहं । छविहमेगो तिण्णेगबन्धगाऽबन्धगो एगो सत्तट्टविहच्छ(विह) बन्धगावि वेएन्ति अट्ठगं नियमा। एगविह बन्धगा पुण चत्तारि व सत्त वेएन्ति मिच्छद्दिटिप्पभिई अट्ठ उदीरन्ति जा पमत्तो त्ति । अद्धावलियासेसे तहेव सत्तेवुदीरन्ति वेयणियाऊवज्जे छकम्म उदीरयन्ति चत्तारि । अद्धावलियासेसे सुहुमो उदीरेइ पञ्चेव वेयणियाउयमोहे वज्ज उदीरेन्ति दोणि पंचेव। अद्धावलियासेसे नामं गोयं च अकसाई उईरेइ नामगोए छक्कम्मविवज्जिया सजोगी य । वट्टन्तो य अजोगी न किञ्चि कम्मं उदीरेइ ॥३०॥ ॥ ३१ ॥ ॥ ३२ ॥ ॥ ३३॥ ।॥ ३४ ॥ ॥ ३५॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy