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जइ ते फुडं अजोगा ता-तण्णमणाइकीसाणुण्णायं । कारणमवि हु इहरा पासंडीणं पि तं होउ अह ते नो जिणलिंगे का तदविक्खा हु भावसारत्ते । अणुअत्तणा य भणिआ तेसि पि हु जेण वुत्तमिमं अग्गीयादाइण्णे खित्ते अण्णत्थ ठिइअभावम्मि। भावाणुवघायणुवत्त-णाए तेसिं तु वसिअव्वं इहरा सपरुवधाओ उच्छोभाईहिं अत्तणो लहुआ। तेसिं च कम्मबंधो दुगंपि एअं अणिट्ठफलं ता दव्वओ उ तेसिं अरत्तदुद्वेण कज्जमासज्ज । अणुवत्तणत्थमेसि कायव्वं किंपि उण भावाओ न परुवंति य सुद्ध एअंपि य दूसणं जहाजोगं । पण्णवणं चिअ वुत्तं इहरा दोसो त्ति जं भणिअं आम घडे निहित्तं जहा जलं तं घडं विणासेइ । इय सिद्धंतरहस्सं अप्पहारं विणासेइ जोग्गाजोग्गमबुज्झिय धम्मरहस्सं कहेइ जो मूढो। संघस्स य पवयणस्स य धम्मस्स य पच्चणीओ सो न पमाणजुत्तमुवहिं धरंति एअंपि तुच्छमाभाइ । असढोवदंसिअत्तेण तब्विहस्सुवहिनिवहस्स इहरा बाहुठिअं पत्तं एगं तु पडलयच्छण्णं । पत्ता बंधकयं पुण बीअं मत्तं अगोअर उ एगंगि अ रयहरणं भवे न इण्डिं विसिट्ठमुणिणो वि। तो एत्थपयत्थम्मि य पुव्वमुणिणो चिअ पमाणं सेवंति य अववायं दुसणमेअंपि घडइ नो सम्मं । तव्विहसंघणयणाई विरहा सुत्तुत्ति उ तह य
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