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नाणस्स होइ भागी थिरयरओ दंसणे चरित्ते य । धण्णा आवकहाए गुरुकुलवासं न मुंचंति
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॥ गणिगणिन्योर्लक्षणावली ॥ सुत्तटत्थे निम्माओ पियदढधम्मोऽणुवत्तणाकुसलो। जाईकुलसंपण्णो गंभीरो लद्धिमंतो य । संगहुवग्गहनिरओ कयकरणो पवयणाणुरागी य। एवंविहो उ भणिओ गणसामी जिणवरिंदेहि गीयत्था कयकरणा कुलजा परिणामिया य गंभीरा । चिरदिक्खिया य वुड्डा अज्जा य पवत्तिणी भणिया एयगुणविप्पमुक्के जो देइ गणं पवत्तिणिपयं वा । जो वि पडिच्छइ नवरं सो पावइ आणमाईणि बूढो गणहरसद्दो गोयममाईहिं धीरपुरिसेहिं । जो तं ठवइ अपत्ते जाणंतो सो महापावो एव पवत्तिणिसद्दो बूढो जो अज्जचंदणाईहिं। जो तं ठवइ अपत्ते जाणंतो सो महापावो लोगम्मि उड्डाहो जत्थ गुरू एरिसा तहिं सीसा । लट्ठयरा अण्णेसिं अणायरो होइ अगुणेसु तम्हा तित्थयराणं आराहंतो जहोइयगुणेसु । दिज्ज गणं गीयत्थो नाऊण पवित्तिणिपयं च
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