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तो उवहिथंडिले संदिसावइ कंबलाइ पडिलेहे । पुण मुहपोत्तिय - सज्झाय - आसणे संदिसावेइ
पढइ सुइ जाव कालवेलमह थंडिले चउव्वीसं । पेहिय पडिकमिउं जाममित्तमिह गुणइ विहिणाउ राइयसंथारय-पुत्तिपेह-सक्कत्थएण उ सुवित्ता । सुट्टओइरियं सक्कथयं कहिय मुहपोति पेहिय विहिणा सामाइयं पि काउं तओ पडिक्कमइ । पडिलेहणाइपुव्वं च कुणइ सव्वं पि कायव्वं जो पुण रयणीपोसहमायरई सो वि संझसमयम्मि । पढमं उवहियं पडिलेहिऊण तो पोसहे ठाइ थंडिल्लहणाई सो वि विहीए करेइ सव्वं पि । पारितो पण पोति हित्ता दो खमासमणे
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दाउ नवकारतिगं भणइ ठिओ एवमेव सामाइयं । पारेइ किं पुण 'भयवं दसण्ण' भणणे इह विसेसो
गुरुजिणवल्लहविरइयपोसहविहिपयरणाठ संखेवा । दंसियमेयविहाणं विसेसओ पुण तओ नेयं
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॥ ८ ॥
॥ ९॥
॥ १० ॥
॥ ११ ॥
॥ १२ ॥
॥ १३ ॥
आसाढाईपुरओ चउरंगुलवुड्डिमाहओ हाणी । पहरो दु-ति-ति-ति- एगे सह छट्टदसदुछह पउणो एयाए गाहाए उवरि पोसहिएण पडिलेहणाकालो नायव्वो ति ॥
।। १५ ।।
॥ १४ ॥