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पुष्फक्खयंजलीहि तो गुरुणा घोसणा ससंघेणं । थिज्जत्थं कायव्वा मंगलसद्देहिं बिंबस्स जह सिद्ध-मेरु-कुलपव्वयाण पंचत्थिकाय-कालाणं । इह सासया पइट्ठा सुपइट्ठा होउ तह एसा
॥२९॥ जह दीव-सिंधु-ससहर-दिणयर-सुरवास-वासखित्ताणं । इह सासया पट्ठा सुपइट्ठा होउ तह एसा इत्थं सुहभावकए अक्खयखेवे कयम्मि बिबस्स। . सविसेसं पुण पूया किच्चा चिइवंदणा य तहा मुहउग्घाडणसमणंतरं च पूयाइ समणसंघस्स। फासुयघय-गुङ-गोरस-णंतगमाईहिं कायव्वा ॥ ३२ ॥ सोहणदिणे य सोहग्गमंतविण्णासपुव्वयमवस्सं । मयणहलकंकणं करयलाओ बिंबस्स अवणिज्जा ॥३३॥ जिणबिंबस्स य विसए नियनियठाणेसु सव्वमुद्दाओ। गुरुणा उवउत्तेणं पउंजियव्वाओ ताओ इमा जिणमुद्द-कलस-परमेट्ठि-अंग-अंजलि-तहासणा-चक्का। सुरभी-पवयण-गरुडा-सोहग्ग-कयंजली चेव ॥३५॥ जिणमुद्दाए चउकलसठावणं तह करेइ थिरकरणं । अहिवासमंतनसणं आसणमुद्दाइ अण्णे उ
।। ३६ ।। कलसाए कलसण्हवणं परमेट्ठीए उ आहवणमंतं । अंगाइ समालभणं अंजलिणा पुप्फरुहणाई आसणयाए पट्टरस पूयणं अंगफुसण चक्काए । सुरभीइ अमयमुत्ती पवयणमुद्दाइ पडिवूहो गरुडाइ दुट्ठरक्खा सोहग्गाए य मंतसोहग्गं । तह अंजलीइ देसण मुद्दाहिं कुणह कज्जाई
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