SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३६ ॥ ॥ ३७॥ ॥३८॥ ॥ ३९ ॥ ॥ ४० ॥ ॥ ४१ ॥ पक्खियचाउम्मासे आलोयण नियमसो उ दायव्वा । गहणं अभिग्गहाणं पुव्वगहिए निवेएउं उत्तरकरणं एगग्गया य आलोइय चेइवंदणया । मंगलधम्मकहा वि य पव्वेसु तवो गुणा हुंति इच्चाइसु सुत्तेसु आलोअण पक्खिए धुवा भणिया। तप्पडिसेहो अ अमावसाइ, कह जुज्जइ जहुत्तं ? मुत्तुं दड्ढतिहीउ अमावसीं अट्ठमी च नवमीं च । छट्ठी च चउत्थीं बारसी च आलोअणं दिज्जा तम्हा चउद्दसी पक्खियं च वीसं न पुव्व दुगमेयं । सामण्णओ य पक्खियमाइ8 पक्खसंधीए जह गेहं पइदिवसं सोहियं तह वि पक्खसंधीसु । सोहिज्जइ सविसेसं एवं इहयं पि नायव्वं चरमदुचरमतिहीणं रूढं जइ नाम पक्खसंधित्तं । सविसेसकिच्चभणणा चउद्दसी चेव सो जुत्तो . दिवसाइं अह पण्णरस चउम्मासाउ चउद्दसीदिवसे। नो पुजंति तह कहमेईए पक्खपडिक्कमणं? बाहुल्लवयणमेयं पक्खे जं हुंति पणरसदिणाई । अण्णह पज्जोसवणाउ पक्खियं कह णु युज्जिज्जा लोगे वि सिद्धिमेयं जह किल वरिसम्मि छप्पक्खा । दिणचउदसगेण तहा समए वि फुडक्खरं भणियं आसाढबहुलपक्खे भद्दवए कत्तिए य पोसे य । फग्गुणवइसाएसु अ बोधव्वा ओमरत्ताओ पक्खो अ चंदसिद्धो न धिप्पइ वच्छरुव्व इह सुत्ते। किं पुण चउद्दसीओ तिहिओ सो चउद्दसी जाव ॥४२॥ ॥४३॥ ॥४४॥ ॥ ४५ ॥ ॥ ४६॥ ॥४७॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy