________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
मणवयतणुजोगतियं, अपसत्थं तह कसाय चत्तारि । कोहो माणो माया - लोभो, किरियाउ अह एया काय अहिगरणीया पाउसिया पारितावणी किरिया । पाणाइवायारंभिय परिगहिया मायवत्ती य मिच्छादंसणवत्ती, अप्पच्चक्खाण दिट्ठि पुट्ठी य । पाडुच्चिय सामंतोवणीय नेसत्थि साहत्थी
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आणवण वियारणिया, अणभोगा अणवकंखपच्चइया । अण्णओग समुदाण, पिज्जदोसेरियावहिया विहियदुवारे गेहे, सरे य पविसइ जहा न रेणजलं । तह पिहियासवदारे, न विसइ जीवेवि पावमलं तो असुहासवनिग्गह- हेऊ इह संवरो विणिद्दिट्ठो | सो पण गविहवि हु, इह भणिओ सत्तवण्णविहो तत्थ परीसह समिई, गुत्ती भावण चरित्तधम्मेहिं । बावीस पणतिबारस - पण दसभेएहि जहसंखं खुहा पिवासा सीउन्हं, दंसाचेलारइत्थिओ | चरिया निसीहिया सिज्जा, अक्कोसवहजायणा अलाभरोगतणफासा, मलसक्कारपरीसहा । पण्णा अण्णाण संमत्तं, इइ बावीसं परीसहा इरिया भासा सण - आयाणुस्सग्ग पंच समिईओ । मणगुत्ती वयगुत्ती, तणुगुत्ती गुत्तितियमेयं भाविज्ज भावणाओ, बारस ताओ अणिच्च असरणया । चउगइभवस्सरूवं, एगत्तण्णत्त असुइत्तं आसवसंवरनिज्जर- लोगसरूवाणि सुट्ठदेसित्तं । धम्मे जिणाण अइदुल्लहं च सम्मत्तवररयणं
१३४
For Private And Personal Use Only
॥ ३६ ॥
॥ ३७ ॥
॥ ३८ ॥
॥ ३९ ॥
1180 11
॥ ४१ ॥
॥ ४२ ॥
॥ ४३ ॥
॥ ४४ ॥
॥ ४५ ॥
॥ ४६ ॥
॥ ४७ ॥