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तविहि-समुस्सुगो खलु, अभिग्गहा-ऽऽसेवणा-ऽऽइ-लिंग-जुओ। आलोयणा-पयाणे जुग्गो, भणिओ जिणिदेहिं ॥४८॥ आयारवमोहारव्वी, ववहारु व्वीलए, पकुव्वा य। अ-परिस्सावी, णिज्जव, अ-वाय-दंसी गुरु भणिओ ॥४९॥ आयरिया-ऽऽई स-गच्छे, संभोइअ, इअर, गीय-पासत्थे । सा-रूवी, पच्छा-कड, देवय, पडिमा, अरिह, सिद्धो ॥५० ।। दुविहेण-ऽणुलोमेणं, आ-सेवण-वियडणा-ऽभिहाणेणं । आ-सेवणा-ऽणुलोमं जं जह आ-सेविअं, विअडे ॥५१॥ आलोयणा-ऽणुलोमं गुरुग-ऽवराहे उ पच्छाओ विअडे। पणगा-ऽऽइणा कमेणं जह जह पच्छित्त-वुड्डी उ ॥५२॥ तह, आउट्टिअ, दप्प-प्पमाय, कप्पा, तहाय जयणाए। कज्जे, संभम-हेडं, जह-ट्ठिअं सव्वमा ऽऽलोए ॥५३॥ दव्वा-ऽऽईसु सुहेसु देया आलोयणा, जओ तेसु। हुंति सुह-भाव-वुड्डी, पाएण सु-सहाओ सुह-हेउं ॥५४ ।। दव्वे-खीर-दुमा-ऽऽई, जिण-भवणा-ऽऽई अ हुंति-खित्तम्मि । पुण्ण-तिही-पभिई-काले, सुभोपयोगा-ऽऽइ-भावेसु ॥ ५५ ॥ आलोयणं च दाउं सई वि अण्णे तहऽप्पणो दाउं। जे वि हु करंति सोहिं, ते वि स-सल्ला विणिट्टिा ॥५६॥ लहुआ,-ल्हा-ऽऽदि-जणणं, अप्प-पर-णिवित्ति, तह अज्जवं । सोही, दुक्कर-करणं, आणा, निस्सलत्तं च, सोहि-गुणा ॥५७ ॥ मुह-पत्ति आ-ऽऽसणा-ऽऽईसु भिण्णं, जल-ऽण्णा-5ऽईसु गुरु-लहुगा-ऽऽइ । जइ-दव्व-भोगि इय पुण, वत्था-5ऽइसु देव-दव्वं व ॥५८ ॥ साहारण-जिण-दव्वं जं भुत्तं असण-वत्थ-कणगा-ऽऽई। तत्थाऽण्णत्थ व दिण्णे चउ-लहु चउ-गुरुअ छ-लहुगा ॥ ५९॥
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