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अधुवासरणेगत्ता-वरत्त भव असुइ आसवा लोगो । संवरनिज्जरधम्मा, बोही इइ भावणा बार पण समिई इरियभासा, एसणआयाणपारिठावणिया । मणमाई तिण्णि गुत्ती, इय संवरभेय सगवण्णा अणसणमूणोयरिया, तणुकिलेसरसचायवित्तिसंखेवा । संलीणया इय छहा, बज्झ तवो अंतरो उ इमो पायच्छित्तं विणओ, वेयावच्चं तहेव सज्झाओ। झाणं उस्सग्गो विय, निज्जर एवं दुवालसहा कम्माणं पगइठिई, अणुभागपएस चउव्विहो बंधो। अत्थो एसि सहावो, कालप्पमाणं रसो दलियं मोक्खम्मि उ संतपयं, दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य । कालो अंतर भागो, भाव अप्पबहुयं च नवभेया सिद्धा पंचमगईये, खइये नाणम्मि दंसणे सम्मे । दुविहुवओगे गइयाइसु सेसपएसु ते नत्थि सिद्धा दव्व अणंता, लोगासंखिज्जभागि तेसि ठिइ । फुसणा अहिया कालो, साइअणंतो पडुच्चेणं नो अंतरं जियाणं, अणंतभागम्मि खइय परिणामे । भावेणंतरा थोवा, परंपरासिद्धणंतगुणा
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