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पवयणभणियकमेणं, पायपडिएण बीयवंदणयं । दायव्वं जं अण्णं, गच्छायरणाइ तं नेयं उद्वित्तु पमज्जंतो, उग्गहबाहिम्मि निक्खमंतो य । आवस्सियं भणंतो, किरियाएसं च मग्गेइ कयपच्चक्खाण किरिउ, वंदणपुव्वं तु संदिसावित्ता। उहोवग्गह उवहिं, तो पडिलेहंति अवसेसं आयरिए वंदित्ता, वसहि पवेएमि थंडिलाई पुणो। पडिलेहेमुत्ति भणित्ता, कुणंति सोहिं तु वसहीए बारस बारस च्चिय, पासवणुच्चारकालगहणाणं । तीसं च मंडलाई, पडिलेहित्ता पमज्जति इरियं पडिक्कमित्ता, पुव्वुत्तविहीइ कालवेलाए। वंदित्तु चेइयाई, गोयरचरियाइ (झो) घोसंति आयरिय उवज्झाए, साहू वंदंति छोभवंदणया। एगखमासमणेणं, तो देवसियं पडिक्कमणं ठावेमि त्ति भणित्ता, उद्धठिया हत्थगहियरयहरणा। पडिवण्णजोगमुद्दा, भणंति उस्सग्गसुत्ताई आवस्सय चुण्णीए, हरिभद्देहि कयाइ वित्तीए । पडिक्कमणविही एसो, भणिउ भणिउ समासेणं वंदणतियं भणियं, इह देसिय रा यम्मि पडिक्कमणा । पंचम अज्झयणम्मि य, तुरिए चत्तारि भणियाणि एवं सुयवयणेणं चउदसपूव्वीण केवलीणं च । भणियं सुत्तं भण्णइ, तं अण्णुण्णं च अविरुद्धं दीसइ इमं विरुद्धं, तम्हा एगस्स भासियं नेयं । दुण्हं मयंतरंमिय, सुयाणुगं तं चिय पमाणं
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