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राया तह जिण देवो जह दमगो तहय होइ आयरिओ । सुद्धंत समं आणा अणंतसोच्छेणं लहइ
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थोपि अणुट्टाणं, आणपहाणं करेइ पावभरं । लहुओ रवि कर पसरो, दहदिसि तिमिर पणासेइ अरिहं विणा न देवो जेसिं चित्ते विणिच्छिओ होइ । तव्वयण करण चरणा सुसाहुणो तेसिं मह गुरुणो गुरुवएस धम्मो विसुद्धसिद्धंत भासिओ होइ । पवयण तहत्ति करणं समत्तं बिंति जगगुरुणो जो पूइज्जइ देवो तव्वयणं जे नरा विराहंति । हारंति बोहिलाभं कुदिट्ठिराएण अण्णाणी पूआ पच्चक्खाणं पोसह उववास दाण सीलाइ । सव्वं पि अणुद्वाणं निरत्थयं कणय कुसुमव्व जेसिन आण बुद्धि विज्जा विण्णाण चौरीमाण सुद्धी । तो गो - मिअ-रुख- पत्थर-खर- तिण-: - सुणाइ सारिच्छं भक्खे सुक्कतणाइ दुद्धं अपेमि अमयसारिच्छं । छगणाओ भूमिसुद्धिलिंपणपयणाइ कज्जेसु पासवणं पावहरं बालाणं पुट्ठिरोगहरणं च । मह उज्जाओ दव्वा पित्तविकाराओ रोयणयं आहोडम मुहाइ लहंति तिति मुएवि मंसाओ । चम्माओ पायरक्खा जलभायणयाइ जायंति देवा वसंति पुच्छ विप्पाणं भूमि भाग सुरहिओ । उवमिज्जतो एसि कइ कुसलो किं न लज्जेसि जाण मोगीय गुणा मरणं अप्पेसु कण रसिआय । अइसिंगीओ वा दंता भिक्खं पावंति जोइंदा
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