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अट्ठदसदोसरहिओ, देवो धम्मो वि निउणदयसहिओ। सुगुरूवि बंभयारी, आरंभपरिगहा विरओ अण्णाण कोह मय माण लोह माया रई य अरई य । निद्दा सोअ अलियवयण चोरिआ मच्छरभया य । पाणिवह पेम कीला, पसंगहासा य जस्स ए दोसा । अट्ठारस वि पणट्ठा, नमामि देवाहिदेवं तं सव्वाओ वि नईओ, कमेण जह सायरम्मि निवडंति । तह भगवइअहिंसं, सव्वे धम्मा समिल्लंति ससरीरे वि निरीहा, बज्झब्जिंतरपरिग्गहविमुक्का । धम्मोवगरणमित्तं, धरति चारित्तरक्खट्ठा पंचिंदियदमणपरा, जिणुत्तसिद्धंतगहियपरमत्था । पंचसमिया तिगुत्ता, सरणं मह एरिसा गुरुणो पासत्थो ओसण्णो, होइ कुसीलो तहेव संसत्तो । अहछंदो वि य एए, अवंदणिज्जा जिणमयम्मि पासत्थाई वंदमाणस्स नेव कित्ती न निज्जरा होई । जायइ कायकिलेसो, बंधो कम्मस्स आणाई जे बंभचेरभट्ठा, पाए पाडंति बंभयारिणं । ते हुंति टुंटमुंटा, बोही वि सुदुल्लहा तेर्सि दंसणभट्ठो भट्ठो, दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणं । सिझंति चरणरहिआ, दंसणरहिआ न सिझंति तित्थयरसमो सूरी,सम्मं जो जिणमयं पयासेई । आणाइ अइक्कतो, सो कापुरिसो न सप्पुरिसो जह लोहसिला अप्पं पि, बोलए तह विलग्गपुरिसं पि। इय सारंभो य गुरू, परमप्पाणं च बोलेई
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