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॥ २० ॥
ववहारम्मि सवत्ती-जुयलं पुत्तत्थहेउ विवयंतं । कयविक्कयझाणम्मी[म्मि], कुसगाहीलुद्धनंदो उ ॥ १७॥ तहणत्थदंडझाणे, वहगा दीवायणस्स संबाई । आभोगी[गे] बंभदत्तो, बंभणअच्छी विकतो ॥ १८ ॥ अणाभोगज्झाणम्मी[म्मि] पसण्णचंदो महारिसी नेओ। रिणआविलझाणम्मी[म्मि] तिलग्गाहा समणभगिणी ॥१९॥ वेरम्मि फरुसरामो, सुदाढ[ढो] तह सालसीसतावसिया । वीयक्के रज्जहेउं, ऊहंतो चाणको नेओ हिंसाए कालसूयर, निण्णगओ णेओ महेसरदत्तो । हासम्मि चंडरुद्दस्स, भाविसीसो समित्तो य
।। २१॥ पहसम्मि य पज्जोओ, वारित्तरिसिं उवहसंतो। पओसे कमठो गोवो, कण्ण] सिलसखवगो य वीरस्स ॥ २२ ॥ फरुसे चुलणी-मणिरह-सप्पागरिसो य सावियाइ पई । भयझाणम्मि वि भद्दो, गयसुकुमालस्स उवघाई ॥ २३ ॥ अप्पपसंसाझाणे, रहकारो अंबलुंबि तोडितो। परनिंदाए खवगो, कूरगडू पइ पडिनिविट्ठो परगरिहाए गुट्ठा-माहिलगो पूसमित्तअहिखवगो। परिगहज्झाणे कुंचग-सिट्ठी तह चारुदत्तो य
।। २५ ॥ परपरिवाए य सस्सू, भदं दोसं असंतयं दिती। परदूसणम्मि रूद्दो, अंगम्मि सदोषमाहितो
॥ २६ ॥ आरंभे उद्दवए, दीवायणगायकरडकरड त्ति । संरंभे संकप्पे, खुहगकुमरो उदाहरणं
॥ २७॥ पावाणुमोयणम्मी[म्मि], उवरोहवरोहिणो उवज्झस्स । धण्ण त्ति संसगजणो, नायव्वो होइ आहरणं
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